दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर 15 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में दशमी तिथि 15 अक्टूबर को है इसलिए इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजन विधि व महत्व
हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशहरा मनाया जाता है और इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल दशहरा यानि विजयदशमी का त्योहार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया था। इसलिए दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी।
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर 15 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में दशमी तिथि 15 अक्टूबर को है इसलिए इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा।
रावण-दहन का मुहूर्त
दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक रावण-दहन का शुभ मुहूर्त है।
घर में पूजन हेतु मुहूर्त
प्रात: 6.00 बजे से 7.30 तक घर में पूजा कर सकते हैं ।
दशहरा का महत्व
दशहरा अंहकारी रावण के पतन की कहानी कहता है, जिसको युद्ध में मारने के बाद भगवान राम ने माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।
दशहरा की पूजा विधि
विजयादशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शमी पूजन मंत्र पढ़ें। इसके बाद सभी दिशाओं में आप विजय की प्रार्थना करें।
यदि आपके घर में अस्त्र शस्त्र की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्रों को उसके ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें। विजयदशमी के दिन भगवान राम, मां दुर्गा, मां सरस्वती, भगवान गणेश और हनुमान जी आराधना करें। इस दिन गाय के गोबर से दस गोले कंडे बनाएं, इन कंडों में नवरात्रि के दिन बोये गए जौ को लगायें। इसके बाद धूप और दीप जलाकर पूजा करें।
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