आज मनायी जा रही है बकरीद, जानिए क्या है कुर्बानी देने के सही नियम
आज है बकरीद में हैका पर्व
जानिए कुर्बानी देने के नियम
बकरीद का पर्व मुस्लिम सामुदाय के महत्वपूर्ण त्योहारों में प्रमुख है। बकरीद दुनिया भर के मुसलमान पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अल्लाह में दृढ़ विश्वास के कारण दिए गए बलिदान की याद के रूप में मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और अंतिम महीने, 1445, धुल् हिज्जा के चांद के दिखने पर निर्भर है। जानकारी के अनुसार इस दिन दुनिया भर के मुसलमान देश के हिसाब से ईद-उल-अज़हा को दो से चार दिनों तक मनाते हैं। इस बार बकरीद का पर्व 17 जून 2024 दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। ईद-अल-अज़हा को ईद-उल-फितर की तरह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते है बकरीद पर कुर्बानी दने के नियम क्या है-
ईद-उल-अज़हा के दिन किसी जानवर की कुर्बानी देने का विधान है। अल्लाह की राह में पशुओं की कुर्बानी देना एक महान इबादत माना जाता है। कुर्बानी तय की गई तिथियों में ही दी जानी चाहिए। ज़ुल हिज्जा की 10वीं तारीख को ईद की नमाज़ के बाद और 13 ज़ुल हिज्जा के सूर्यास्त से पहले ही कुर्बानी दे सकते हैं ।
इस दौरान आप बकरा के अलावा ऊंट, भैंस, भेड़, बकरी आदि की कुर्बानी दे सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भेड़ और बकरी को एक ही कुर्बानी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। जबकि ऊंट को सात लोगों के बीच साझा कर सकते हैं। कुर्बानी के लिए कभी भी पशु के बच्चों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। कुर्बानी देने वाले व्यक्ति को अल्लाह के नाम पर कुर्बानी देने की नियत होनी चाहिए।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति कुर्बानी देगा, वह ज़ुल कदाह के आखिरी दिन सूरज डूबने के बाद से लेकर बकरीद के दिन तक कुर्बानी देने तक अपने शरीर का कोई बाल, नाखून या फिर किसी तरह से स्किन नहीं हटा सकता है।
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