रक्षाबंधन 2021: यूं पूरे विधि-विधान से श्रीफल के साथ बांधें भाई की कलाई में राखी, इन बातों पर ध्यान देंगे तो होगा लाभ
हम जानते ही हैं कि राखी का ये पावन पर्व पौराणिक काल से मनाया जा रहा है तो जाहिर सी बात है कि इसके साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होंगी
हम जानते ही हैं कि राखी का ये पावन पर्व पौराणिक काल से मनाया जा रहा है तो जाहिर सी बात है कि इसके साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होंगी जिनका पालन आजकल ठीक तरह से नहीं किया जाता है। ये ठीक नहीं है परंपराओं का पालन ठीक तरह से होना चाहिए तभी उनका शुभ फल प्राप्त हो सकता है।
हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को प्रिय है। इस महीने भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है वहीं इस महीने त्यौहारों की भरमार होती है। हरियाली तीज, नाग पंचमी जैसे पर्व इस महीने में मनाए जाते हैं तो दूसरी ओर सावन की पूर्णिमा रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है जिसका हर भाई व बहन बेसब्री से इंतजार करते हैं।
देखा जाए तो पौराणिक काल से ही भाई की कलाई पर बहन के राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है। इस त्यौहार पर बहनें जहां प्रेम से अपने भाई के लिए राखियां चुनती है वहीं भाई भी अपनी प्यारी बहन के लिए अच्छे से अच्छा गिफ्ट सेलेक्ट करते हैं। बहनों के राखी बांधने पर भाई गिफ्ट देते हैं। इस दिन बहनों को खुश करने में भाई कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
इस साल रक्षाबंधन का ये पावन पर्व 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा। भद्रा का अशुभ साया न होने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। राहु काल भी शाम के समय लगेगा तो दिन में राखी बांधने में कोई बाधा नहीं होगी।
रक्षाबंधन पर निभाई जाती है ये खास परंपरा
ये तो हम जानते ही हैं कि राखी का ये पावन पर्व पौराणिक काल से मनाया जा रहा है तो जाहिर सी बात है कि इसके साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होंगी जिनका पालन आजकल ठीक तरह से नहीं किया जाता है। ये ठीक नहीं है परंपराओं का पालन ठीक तरह से होना चाहिए तभी उनका शुभ फल प्राप्त हो सकता है।
प्राचीनकाल से ही बहनें राखी बांधते समय अपने भाई के हाथ में श्रीफल यानी नारियल देती और उसके बाद ही उसकी कलाई में राखी बांधती थी। ऐसा करने के पीछे ये मान्यता थी कि राखी बांधते समय भाई का हाथ खाली नहीं होना चाहिए, हाथ भरा होने का मतलब होता था भाई के हाथ में सदैव लक्ष्मी बनी रहे।
वहीं आजकल तो इस परंपरा का तोड़-मरोड़कर पालन किया जाता है, भाई के हाथ में पानी वाले नारियल की जगह पर सूखा गोला या फिर और कोई फल जैसे केला, मिठाई आदि भी रख देते हैं। ऐसा करने वाले लोगों को यह जानना चाहिए कि ऐसा करना पूरी तरह गलत है। परंपराओं का पालन करें तो पूरा करें, अपनी मर्जी से कुछ भी कर लेना ठीक नहीं होता और उसका परिणाम भी गलत व अशुभ ही होता है। बहन अगर भाई के हाथ में पानी वाला नारियल रखेगी तो भाई की तरक्की होगी और अगर सूखा गोला रखेगी तो भाई के यहां सब कुछ सूख जाएगा।
हाथ में नारियल रखकर राखी बांधने की परंपरा
राखी के त्यौहार का भाई-बहन दोनों को इंतजार होता है। जहां कुंवारी बहनें घर में राखी बांधने की तैयारी करती है तो वहीं विवाहिता बहनें अपने ससुराल से खाली हाथ नहीं आती बल्कि राखी के साथ लाती है भाई के लिए मिठाई, नारियल और भाभी के लिए सूखा गोला। राखी बांधते समय जहां भाई के हाथ में नारियल देती है तो वहीं भाभी की झोली में सूखा नारियल डालती है जिसका मतलब है कि भाई का हाथ और भाभी की झोली सदा भरी रहे।
राखी बांधने से पहले इन बातों पर ध्यान दें
-सबसे पहले तो ये जान लें कि राखी श्रीफल नारियल से ही बंधवानी है, सूखे गोले से नहीं।
-नारियल नहीं है तो सिर्फ धन अर्थात कुछ रुपये हाथ में रखकर भी राखी बंधवा सकते हैं लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं रखना चाहिये। सूखा नारियल तो बिलकुल नहीं।
- परिस्थितिजन्य अक्षत मतलब बिना टूटे साबूत चावल भी रखे जा सकते हैं।
- एक ही श्रीफल से पूरे परिवार के लोग राखी बंधवा सकते हैं, इसलिए अलग-अलग श्रीफल नहीं खरीदना चाहिए।
- भाई को बहनों से कुछ लेना नहीं चाहिए। इस मान्यता के अनुसार श्रीफल भी भाई अपने पास नहीं रखते सिर्फ हाथ में रखकर राखी बंधवाते हैं। वह श्रीफल बहन का ही होता है।
-बहनों को प्रयास करना चाहिए कि वह अपने हाथ से रेशमी धागे की राखी बनाकर अपने भाई को बांधें। ऐसा करने से दोनों के बीच का प्रेम बढ़ता है।
राखी को रक्षा सूत्र क्यों कहते हैं
रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई में राखी बांधते हैं जिसे रक्षा सूत्र भी कहते हैं क्योंकि इससे भाई की रक्षा होती है। बहन राखी बांधते हुए भगवान से प्रार्थना करती है कि उसके भाई की उम्र लंबी हो, उसे भौतिक सुख मिले, उसकी तरक्की हो आदि।
यहां सहज ही सवाल उठता है कि आखिर राखी को रक्षा सूत्र कहा क्यों जाता है। रक्षा सूत्र को सामान्य बोलचाल में राखी कहा जाता है, जो वेद के संस्कृत शब्द रक्षिका का अपभ्रंश हैं। इसका अर्थ है- रक्षा करना, रक्षा करने को तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देना। राखी का ये धागा केवल अचेतन वस्तु न होकर सिल्क या सूत के कई तारों को पिरोकर तैयार होता है। यह भावनात्मक एकता का प्रतीक है इसलिए इसे पवित्र माना जाता है।
यूं पूरे विधि-विधान से बांधें राखी
-रक्षाबंधन के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के किसी पवित्र स्थान को गाय के गोबर से लीप दें या शुद्ध पानी से धोकर पवित्र कर लें। इसके बाद साफ किये गए स्थान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं।
- फिर इस स्वस्तिक पर तांबे का शुद्ध जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश के मुख पर आम के पत्ते फैलाते हुए जमा दें। इन पत्तों पर नारियल रखें।
-इसके बाद कलश के दोनों ओर आसन बिछा दें। (एक आसन भाई के बैठने के लिए और दूसरा बहन के लिए) अब भाई-बहन कलश को बीच में रख कर आमने-सामने बैठ जाएं।
- इसके बाद सबसे पहले तो इस कलश की पूजा करें। फिर भाई के दाहिने हाथ में नारियल तथा सिर पर कपड़ा या टोपी रखें।
- अब भाई को तिलक करें और उस पर चावल लगाएं। इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय ये मंत्र बोलें-
ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबली
तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल।।
- फिर भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें और उसकी तरक्की व खुशहाली की कामना करें।
-भाई राखी बंधवाने के बाद बहन के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे और उपहार दे।
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