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गुरु पूर्णिमा पर शुभ योग में यूं करें पूजा, भूल से भी न करें ये काम

आषाढ़ पूर्णिमा को पूरे विधि-विधान से गुरु की पूजा की जाती है और यह दिन गुरु पूर्णिमा के नाम से ही जाना जाता है। माना जाता है कि हर व्यक्ति को अपने गुरू की पूजा करनी चाहिए। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। 
 

गुरु ही शिष्य को विद्या और ज्ञान का वरदान देता है जिससे उसका जीवन संवर जाता है  तभी तो हमारे यहां गुरु की पूजा की जाती है। वहीं कबीरदासजी ने तो कहा भी है कि.. गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय।।

इस दोहे में कबीर दासजी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते  हुए कहा है कि जीवन में जब कभी ऐसी परिस्थिति आ जाये जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े हों तब पहले गुरु को ही प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द से भी ऊँचा है।

इस साल 24 जुलाई शनिवार को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गंगा स्नान के साथ ही दान करने की भी परंपरा है। 


गुरु पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त में करें पूजा 

इस बार गुरू पूर्णिमा शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई शनिवार की सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। 24 जुलाई शनिवार को उदया तिथि होने से गुरु पूर्णिमा इसी दिन मनाई जाएगी। 

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:15 से 4:57 तक
अभिजीत मुहूर्त-  दोपहर12:00 से 12:55 तक
विजय मुहूर्त- 2:44 से 3:39 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 7:03 से 7:27 तक
अमृत काल- सुबह 6:44  से 8:13 तक


शुभ योग में मनेगी गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा पर इस साल विष्कुंभ योग बन रहा है। सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक प्रीति योग बन रहा है जो 25 जुलाई की सुबह 3 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा। यह दोनों ही योग एक साथ बनना शुभ माना जाता है। प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। 

ऐसे करें गुरु पूर्णिमा पर पूजा 

-सबसे पहले तो इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। नहाने के पानी में गंगा जल मिला लें जिससे आपको गंगा स्नान का फल घर बैठे ही मिल जाएगा। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें। 

- नहाने के बाद घर के मंदिर में भगवान के सामने दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। 

-पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु  के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें। 
भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। 
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

-गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी की पूजा- अर्चना करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

-इस दिन अपने- अपने गुरुओं का ध्यान करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु कृपा से व्यक्ति का जीवन आनंद से भर जाता है।

-पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।  चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।  चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है। 

-इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें, दान दें। 

-अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। 

गुरु पूर्णिमा पर करें ये खास काम 

-गुरु पूर्णिमा को पूजा के बाद पीपल के वृक्ष की जड़ में मीठा जल डालें। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। 

-दांपत्य में मधुरता लाना चाहते हैं तो गुरु पूर्णिमा के दिन शाम को पति-पत्नी को मिलकर चंद्रमा का दर्शन करें और उन्हें गाय के दूध का अर्घ्य दें।

- गुरु पूर्णिमा की शाम को तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य प्राप्ति होती है।

- गुरु पूर्णिमा की शाम को चंद्रमा का दर्शन जरूर करना चाहिए। उसके बाद दूध में गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्र दोष दूर हो जाते हैं। यह भी ध्यान रहे कि चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’का जप जरूर करें।

गुरु पूर्णिमा पर भूल से भी न करें ये गलतियां 

कुछ काम ऐसे भी हैं जो गुरु पूर्णिमा के पावन दिन बिलकुल नहीं करने चाहिए। तो आइये जानते हैं  इस दिन क्या कुछ नहीं करना है ...

- सबसे पहले तो यह जान लें कि इस पावन दिन पर घर को गंदा नहीं रखना चाहिए। 

- इस दिन किसी को भी कठोर बातें नहीं बोलनी चाहिए और न ही किसी से  लड़ाई-झगड़ा करना चाहिए।

- इस दिन किसी स्त्री या बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे गुरु नाराज हो जाते हैं और उनका श्राप मिल सकता है।

-गुरु पूर्णिमा के दिन भूलकर भी मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
 

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