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सुख व दुख मानव जीवन के साथी - सुन्दरदास महाराज

 


चंदौली जिले के चिरईगांव में ग्रामीणों के सहयोग से चातुर्मास यज्ञ के छठवें दिन सोमवार को त्रिदंडी स्वामी के शिष्य सुन्दरदास महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराया। कथा में मानव जीवन मे सुख व दु:ख पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। पंडाल में कथा सुनकर ग्रामीण भाव विभोर हो गए।


इस दौरान त्रिदंडी स्वामी के शिष्य सुंदरदास महाराज ने कहा कि मानव जीवन में सुख व दु:ख दो पहिये के समान है। यदि व्यक्ति को जीवन में हमेशा सुख मिले, तो वह सुख के आनंद को नहीं समझ सकता है। जबकि व्यक्ति को जीवन में दु:ख मिले, तो वह उसका आदि हो जाता है। आनंद तीन प्रकार का होते हैं। विद्यानंद, विषयानंद व ब्रहमानंद हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण ब्रहमानंद का सुख है। जो व्यक्ति नारायण (धर्म) के रास्ते पर चलता है। उसके पुण्य का प्रतिफल उसको सुख के रूप में मिलता है। लेकिन सुख का प्रतिफल यदि व्यक्ति सत्य के रास्ते पर नहीं चलता है, तो उसका पुण्य भी नष्ट हो जाता है। 


इस मौके पर कथा का रसपान करने वालों में मृत्युंजय सिंह नागवंशी, वीर प्रताप सिंह, विंध्याचल सिंह, शिवबच्चन सिंह, हरवंश सिंह, पलक सिंह, वंदना सिंह, नरेंद्र सिंह, दिनेश जायसवाल, उपेंद्र सिंह, विनोद गुप्ता आदि लोग शामिल रहे।

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