हरियाली तीज पर व्रत और पूजा, व्रत के दौरान जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, शुभ फलों की होती है प्राप्ति
हरियाली तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी माता पार्वती को अपना पूर्व जन्म याद दिलाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया। अन्न और जल का भी त्याग कर दिया और सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे मौसम की भी कोई फिक्र नहीं की। उसके बाद तुम्हें वर के रूप में मैं प्राप्त हुआ।
महादेव कथा सुनाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। भगवान विष्णु स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। लेकिन जब तुम्हारे पिता पर्वतराज ने ये बात तुम्हें बताई तो तुम बहुत दुखी हुईं।
भोलेनाथ कथा सुनाते हुए आगे कहते हैं कि जब तुमने अपनी सखी को यह बात बताई तो उसने घनघोर जंगल में तुम्हें तप करने की सलाह दी। सखी की बात मानकर तुम मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगल में एक गुफा के अंदर रेत की शिवलिंग बनाकर तप करने लगीं। शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती और पाताल एक कर दिया, लेकिन तुम्हें ढूंढ नहीं पाए। तुम गुफा में सच्चे मन से तप करने में लगी रहीं।
सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर प्रसन्न होकर मैंने तुम्हें दर्शन दिए और तुम्हारी मनोकामना को पूरा करने का वचन देते हुए तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक पहुंच गए। तुमने अपने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी, जब आप मेरा विवाह शिव के साथ करवाएंगे।
तुम्हारी हठ के आगे पिता की एक न चली और उन्होंने ये विवाह करवाने के लिए हामी भर दी। शिव जी आगे कहते हैं कि श्रावण तीज के दिन तुम्हारी इच्छा पूरी हुई और तुम्हारे कठोर तप की वजह से ही हमारा विवाह संभव हो सका। शिव जी ने कहा कि जो भी महिला श्रावणी तीज पर व्रत रखेगी, विधि विधान से पूजा करेगी, तुम्हारी इस कथा का पाठ सुनेगी या पढ़ेगी, उसके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर होंगे और उसकी मनोकामना मैं जरूर पूरी करूंगा।
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