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इसलिए खास है मोक्षदा एकादशी का महत्व, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

इस दिन उपवास रखकर श्रीहरि के नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी का व्रत जो कोई भी करता है, उसके पितरों को मुक्ति मिल जाती है।
 

आज मोक्षदा एकादशी है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया था। भगवान ने युधिष्ठिर को भी इस तिथि का महत्व समझाया था।

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। पद्मपुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं कि इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है। इस दिन उपवास रखकर श्रीहरि के नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी का व्रत जो कोई भी करता है, उसके पितरों को मुक्ति मिल जाती है।

बताया जाता है कि प्राचीन काल में गोकुल राज्य के राजा वैखानस ने अपने पिता को नर्क से मुक्ति दिलाने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत किया था और भगवान विष्णु की अराधना की थी। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई थी।

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दरअसल, राजा ने एक सपना देखा था कि उसके पिता को नर्क में यातनाएं भोगनी पड़ रही हैं। यह देखकर राजा बहुत विचलित हो उठे। इसके बाद राजा ने पर्वत मुनि से अपने पिता को मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा। पर्वत मुनि ने राजा को मोक्षदा एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की आराधना की सलाह दी। राजा ने वैसा ही किया, जिसके प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिल गई। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस तिथि को गीता जयंती भी कहते हैं।

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