चंदौली जिले के बूढ़ेपुर गांव में श्रीमद भागवत कथा का प्रवचन करते हुए जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि बुरा कर्म का फल बुरा ही होता है। मनुष्य को कर्म करने में सतर्कता बरतनी चाहिए। बुरे कर्मों से बचना चाहिए। बुरा कर्म ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलना निश्चित है। इसलिए किसी भी प्राणी को बुरा कर्म नहीं करना चाहिए।
किसी भी निर्दोष जीवों को मारकर खाना बहुत ही बड़ा पाप है। किसी भी जीव को मारकर खाने का किसी भी मनुष्य का कोई अधिकार नहीं है।मनुष्य कुछ पल के लिए जिह्वा के स्वाद के लिए प्राणियों को मारकर खा जाता है। यह बहुत ही बड़ा अपराध है। इससे बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तीर्थ करने से भी बड़ा फल संत दर्शन का होता है। तीर्थ करें फल एक है, संत मिले फल चार। पूर्व जन्म का जब पुण्य ईकट्ठा होता है तो संत का दर्शन होता है। संत के दर्शन मात्र से बड़ी से बड़ी बाधाएं टल जाती है। मनुष्य को संसार में रहते हुए और संसार में जीविकोपार्जन के लिए कार्य करते हुए ईश्वर में ध्यान लगाते रहना चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप का स्मरण करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। श्री कृष्ण के बाल लीलाओं को सुनने से मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर लेता है। सभी देवी देवता भी कृष्ण के बाल रूप का स्मरण करते रहते हैं। जब भी समय मिले नित्य प्रतिदिन श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करते रहना चाहिए। भागवत कथा का पाठ करते रहना चाहिए।
घर में भागवत कथा का पाठ होता हो उस घर में लक्ष्मी का आगमन हो जाता है। और घर में प्रायः शांति स्थापित रखती है। मनुष्य को इस बात पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमसे किसी भी दूसरे मनुष्य को कोई परेशानी ना हो। कोई कष्ट ना हो। उन्होंने कहा कि बेवजह पेड़ पौधे को नहीं काटना चाहिए यह दिन रात हमें प्राणवायु ऑक्सीजन उपलब्ध कराते रहते हैं।
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