2 जून को है कला अष्टमी, इस दिन भैरवजी की पूजा से दूर होते हैं डर और बीमारियां
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हिंदू मान्यता के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कला अष्टमी मनाई जाती है। ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की कला अष्टमी इस बार 2 जून बुधवार को है, इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है।
आप को बता दें कि भैरव, शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। भैरव का अर्थ होता है भय को हरा कर जगत की रक्षा करने वाला।
ऐसा भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। इन्हें काशी के कोतवाल भी कहा जाता है।
इनकी शक्ति का नाम है ‘भैरवी गिरिजा ,जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं। इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है।
कला अष्टमी पूजा विधि-
- इस दिन सुबह जल्दी उठें।
- नित्य कर्म एवं स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- भगवान भैरव को फूल अर्पित करें।
- इस दिन भैरव बाबा का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- भैरव चालीसा का पाठ करें।
- भैरव बाबा को भोग लगाएं।
कला अष्टमी का महत्व
- ऐसी मान्यता है कि भगवान काल भैरव सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करते हैं। ऐसे मं कालाष्टमी के दिन व्रत रखने और काल भैरव की पूजा करने से साधक को किसी भी तरह के भय, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
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