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आप भी करिए कालाष्टमी व्रत, जानिए तिथि पूजा विधि और महत्व

कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस बार 5 दिसबंर को कालाष्टमी है। कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले बाबा कालभैरव की पूजा की जाती है।
 

प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत

इस बार 5 दिसबंर को कालाष्टमी

भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले बाबा कालभैरव की पूजा

प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस बार 5 दिसबंर को कालाष्टमी है। कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाने वाले बाबा कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव को शिव का पांचवा अवतार माना गया है। कालभैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक हैं। ये अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। 

कहा जाता है कि भगवान भैरव के भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता। काल भी इनसे भयभीत रहता है, इसलिए इन्हें कालभैरव कहा जाता है। कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने से जीवन के सभी संकट, काल, दुख दूर हो जाते हैं। 

कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि

कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करने के बाद भगवान भैरव की पूजा- अर्चना करें। 
इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 
पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। 
एक बात का ध्यान जरूर रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।

कालाष्टमी व्रत का महत्व 


अगर आपके दुख कम नहीं हो रहे हैं, हर दिन जीवन में चुनौतियां मिल रही हैं तो कालाष्टमी के दिन बाबा भैरव की पूजा जरूर करें। मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही इस दिन व्रत रखने से भैरव भगवान की कृपा प्राप्त होती है और शत्रुओं से छुटकारा भी मिल जाता है।


काल भैरव मंत्र

ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव:
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्

                                                                                                                   

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