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आज से शुरू हो गया खरमास, अब 13 अप्रैल तक नहीं होंगे कोई भी मांगलिक कार्य

आज 14 मार्च, गुरुवार को मीन संक्रांति है। इस दिन सूर्य मीन राशि में परिवर्तन होंगे। सूर्य 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य के मीन राशि में गोचर करने से खरमास शुरू हो जाएगा।
 

सूर्य मीन राशि में परिवर्तन के संकेत

सूर्य के मीन राशि में जाने के साथ शुरू होगा खरमास

विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ जैसे मांगलिक कार्यों का निषेध

आज 14 मार्च, गुरुवार को मीन संक्रांति है। इस दिन सूर्य मीन राशि में परिवर्तन होंगे। सूर्य 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य के मीन राशि में गोचर करने से खरमास शुरू हो जाएगा। यह खरमास एक महीने तक रहेगा। शास्त्रों में खरमास के शुरू होने पर शुभ और मांगलिक आयोजन जैसे विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ जैसे मांगलिक और धार्मिक संस्कार नहीं होते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर एक माह में अपनी राशि बदलते हैं। इस तरह से सूर्य एक साल में कुल 12 बार राशियां बदलते हैं। सूर्य जब गुरु ग्रह की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब इस खरमास कहा जाता है। खर का अर्थ होता है दुषित और मास का मतलब महीना। यानी खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करते हैं। 


पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य कुंभ राशि से निकलकर 14 मार्च को रात 12:24 बजे मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। सूर्यदेव मीन राशि में 13 अप्रैल रात 9:03 बजे तक रहेंगे और इसके बाद वह मेष राशि में प्रवेश करेंगे और इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाएगा। इस अवधि में धार्मिक कार्य यानी पूजा-पाठ और हवन तो किए जा सकते हैं लेकिन किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं।


धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। सूर्यदेव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। वहीं,इस दौरान सूर्य के संपर्क में आने से देवगुरु बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। साल में दो बार खरमास लगता है। एक बार सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं।

शुभ कार्य होते हैं वर्जित

किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक हैं। जब खरमास में सूर्य अपने गुरु की सेवा में होते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम होता है। इसके कारण शुभ कार्यों पर सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है। इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कर्म न करने की सलाह दी जाती है। विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं।

इस महीने क्या करें


शास्त्रों में उल्लेख है कि इस माह में दान करने से तीर्थ स्न्नान जितना पुण्य फल मिलता है। इस माह निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत आदि किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।इस दौरान जरूरतमंद लोगों को, गरीबों, ब्राह्मणों की सेवा करने का बहुत महत्व है। खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप करना भी बहुत लाभकारी माना गया है। पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल का दान जरूर करें। किसी गोशाला में, हरी घास और गायों की देखभाल के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान कर सकते हैं।


                                                                                                                                                                           

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