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जानिए कब और कैसे हुयी भगवान शिव की उत्पत्ति, क्या है भगवान शिव से जुड़ा ये रहस्य

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान सदाशिव और पराशक्ति के मन में दूसरे पुरुष की रचना करने की इच्छा प्रकट हुई।
 

बहुत कम लोग जानते हैं शिव के जन्म का रहस्य

ऐसे हुयी भगवान शिव की उत्पत्ति

जानिए पौराणिक कथा और मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान सदाशिव और पराशक्ति के मन में दूसरे पुरुष की रचना करने की इच्छा प्रकट हुई। इस इच्छा को पूरी करने के लिए दोनों ने अपने सीधे भाग से ब्रह्मा जी और उल्टे भाग से विष्णु जी को उत्पन्न किया। भगवान सदाशिव और पाराशक्ति ने ब्रह्मा जी को उत्पन्न करने के बाद उन्हें विष्णु जी के नाभि कमल में डाल दिया। इस प्रकार ब्रह्मा जी उत्पत्ति भगवान विष्णु के नाभि कमल से हुई।


उत्पत्ति के बाद ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना करने का दायित्व दिया गया और भगवान विष्णु को सृष्टि का पालन करने की जिम्मेदारी मिली। एक दिन ब्रह्मा जी और विष्णु जी दोनों में यह बहस हो गई कि कौन श्रेष्ठ है? इस बहस के दौरान एक दिव्य ज्योतिपुंज प्रकट हुआ, जिसमें एक विशाल शिवलिंग था। उस शिवलिंग की उत्पत्ति के साथ ही एक भविष्यवाणी भी हुई, जिसमें ये कहा गया कि तुम दोनों की रचना मुझसे ही हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि तभी भगवान शिव का जन्म हुआ।


जबकि विष्णु पुराण के मुताबिक, एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु सृष्टि की रचना पर विचार कर रहे थे तब अचानक से शिव जी भगवान प्रकट हुए। उन्हें देखकर ब्रह्मा जी चौंक गए और सोचने की आखिर ये कौन हैं? तब विष्णु जी ने उन्हें शिवजी के बारे में बताया। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने क्षमा मांगते हुए उनको पुत्र के रूप में वरदान मांगा। कुछ समय बाद जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू कर दी तो उन्हें एक बालक की जरूरत हुई। तब उन्हें शिव जी का ये वरदान याद आया और वरदाने के फलस्वरूप भगवान शिव को प्राप्त किया। उस बच्चे का नाम ब्रह्मा जी ने रुद्र रख दिया।

                                                                   

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