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जानें आखिर भगवान शिव को क्यों चढ़ाए जाते हैं भांग और धतूरा, क्या है इसका महत्व और इससे जुड़ी कथा

शिवलिंग पर कई ऐसी चीजें भी चढ़ाई जाती है जो शंकर जी को प्रिय है जैसे बेलपत्र, भांग और धतूरा। 

 

भगवान शिव-शंकर का प्रिय महीना सावन चल रहा है और इस महीने महादेव की विशेष पूजा की जाती है। वहीं सावन के सोमवार को तो पूजा-अर्चना के साथ ही व्रत भी रखा जाता है। भक्तजन भोलेनाथ को पूजा में उनकी प्रिय चीजें चढ़ाते हैं और कष्ट दूर करने की प्रार्थना करने के साथ ही मनोवांछित फल का वरदान भी मांगते हैं। शिवलिंग पर कई ऐसी चीजें भी चढ़ाई जाती है जो शंकर जी को प्रिय है जैसे बेलपत्र, भांग और धतूरा। 

भगवान शिव-शंकर का प्रिय महीना सावन चल रहा है और इस महीने महादेव की विशेष पूजा की जाती है। वहीं सावन के सोमवार को तो पूजा-अर्चना के साथ ही व्रत भी रखा जाता है। भक्तजन भोलेनाथ को पूजा में उनकी प्रिय चीजें चढ़ाते हैं और कष्ट दूर करने की प्रार्थना करने के साथ ही मनोवांछित फल का वरदान भी मांगते हैं। शिवलिंग पर कई ऐसी चीजें भी चढ़ाई जाती है जो शंकर जी को प्रिय है जैसे बेलपत्र, भांग और धतूरा। देखा जाए तो भांग औ धतूरे को औषधीय रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो शिव जी को ये चीजें क्यों चढ़ाई जाती है। 

माना जाता है कि भोलेनाथ को भांग औ धतूरा बेहद प्रिय है इसीलिए उनकी पूजा में इसका विशेष महत्व है। अब यहां यह सवाल उठता है कि आखिर भांग और धतूरे जैसी साधारण सी चीजों में ऐसा क्या है जो शिव जी इनको इतना पसंद करते हैं। क्या है इन चीजों में ऐसा जो इनके बगैर भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। 

आइये यहां जानते हैं कि शिव जी को भांग और धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है .....

समुद्र मंथन से जुड़ी है इसकी कथा 

देवताओं और असुरों ने जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से हलाहल विष निकला था और भगवान शिव ने ये विष पी लिया था । उस विष को भोलेनाथ ने कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया और फिर वे नीलकंठ कहलाए। विष के असर से वे व्याकुल हो गए। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा और बेलपत्र जैसी औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की।  तब से शिव जी को भांग, धतूरा प्रिय है औ भक्तजन उन्हें ये चीजें अवश्य चढ़ाते हैं। जो भी भक्त शिव जी को भांग धतूरा अर्पित करता है, शिव जी उस पर प्रसन्न होते हैं।

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सब जिसका त्याग करते हैं भोलेनाथ उन्हें अपनाते हैं 

भगवान शिव देवताओं में सबसे अलग है और वे उन सारी चीजों को प्रसन्नता से अपनाते हैं जिन्हें लोग त्यागते हैं।  
यही उदार भाव है जो जिसकी वजह से भगवान शिव वे सारी चीजें अपना लेते हैं जिसे समाज तिरस्कृत कर देता है। 
धतूरा जैसा जहरीला फल भोलेनाथ को चढ़ता है जिसके पीछे का भाव यही है कि व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक जीवन में बुरे व्यवहार और कड़वी बातें बोलने से बचें। सारा कड़वापन दूर करके लोगों में मिठास बांटें और सबका भला करें। 

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त्यागें मन की कड़वाहट 

महादेव के मंदिर में जाकर उनको धतूरा चढ़ाने का सीधा सा अर्थ यही है कि मन और विचारों की कड़वाहट निकालें और शिव के चरणों में अर्पित कर दें और अपने व्यवहार में, वाणी में मिठास ले आएं। ऐसा करना ही शिव की सच्ची पूजा होगी।

सबसे न्यारा है शिव का स्वरूप 

महादेव ऐसे भगवान है जिन्होंने संसार में सभी को अपनाया है। उनके लिए कोई पराया नहीं है। वे सृष्टि का भला चाहते हैं तो उन्होंने विषपान किया और स्वयं की नहीं बल्कि औरों की चिंता की। वे गले में आभूषण नहीं बल्कि सर्पों का हार पहनते हैं और भस्म रमाते हैं। वे एकमात्र ऐसे देवता हैं जो भक्त से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उन्हें ज्यादा कुछ नहीं बल्कि सिर्फ पत्तों व फूलों से या फिर जल से भी प्रसन्न किया जा सकता है।


 

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