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ललिता सप्तमी 2025 : ब्रज की पावन परंपरा, जानें पूजा विधि और महत्व

यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन और ब्रज के आसपास के क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। ललिता देवी को राधा-कृष्ण की रासलीला और उनके प्रेम का एक महत्वपूर्ण सूत्रधार माना जाता है।
 

राधा रानी की सबसे प्रिय सखी थीं ललिता

ललिता देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं ये दिन

पूजा करने से राधा-कृष्ण की मिलती है कृपा

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ललिता सप्तमी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन राधा रानी की सबसे प्रिय सखी और उनकी अष्टसखियों में से एक, ललिता देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ललिता देवी की पूजा करने से राधा-कृष्ण दोनों की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इस साल ललिता सप्तमी 30 अगस्त, 2025, शनिवार को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति
पंचांग के अनुसार, इस साल ललिता सप्तमी के दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा 7 बजकर 53 मिनट तक तुला राशि में रहेंगे, जिसके बाद वे वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इस दिन का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल सुबह 9 बजकर 10 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

Lalita Saptami 2025

ब्रज क्षेत्र में विशेष महत्व
यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन और ब्रज के आसपास के क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। ललिता देवी को राधा-कृष्ण की रासलीला और उनके प्रेम का एक महत्वपूर्ण सूत्रधार माना जाता है। वे राधा रानी के हर सुख-दुःख में उनके साथ रहती थीं, और उनकी भक्ति और प्रेम का प्रतीक मानी जाती हैं।

कई स्थानों पर इस व्रत को संतान सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। संतान की अच्छी सेहत, लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से नवविवाहित जोड़ों के लिए बेहद फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और खुशियां लाता है।

Lalita Saptami 2025

पूजा विधि और मंत्र
ललिता सप्तमी का व्रत रखने के लिए, भक्तों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करनी चाहिए। पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर राधा-कृष्ण और देवी ललिता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें और देवी ललिता को लाल रंग के वस्त्र, फूल, श्रृंगार सामग्री और मिठाई अर्पित करें। पूजा में तुलसी दल का उपयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद देवी ललिता की आरती करें और तीन बार परिक्रमा करने के बाद 'ॐ ह्रीं ललितायै नमः' मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में आरती का आचमन कर प्रसाद ग्रहण करें।

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