आज है महावीर जयंती, जानिए इनके विचार व नियम
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भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को हुआ था। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी इसी तिथि पर महावीर जयंती मनाते हैं। इस बार यह तिथि कल यानी कि 6 अप्रैल सोमवार को है। भगवान महावीर को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है।
महावीर ने लोगों को समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति पाने के लिए 5 सिद्धांत बताएं. आइए जानते हैं आखिर क्या हैं वो 5 सिद्धांत जिन्हें लोग मानते हैं….
अहिंसा
भगवान महावीर का पहला सिद्धांत है अहिंसा, इस सिद्धांत में उन्होंने जैनों लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है। उन्होंने बताया कि भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
सत्य
भगवान महावीर का दूसरा सिद्धांत है सत्य। भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है। यही वजह है कि उन्होंने लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए प्रेरित किया।
अस्तेय
भगवान महावीर का तीसरा सिद्धांत है अस्तेय। अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं जो उन्हें दी जाती है।
ब्रह्मचर्य
भगवान महावीर का चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य। इस सिद्धांत को ग्रहण करने के लिए जैन व्यक्तियों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है। जिसके अंतर्गत वो कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं।
अपरिग्रह
पांचवा अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह, यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है। माना जाता है कि अपरिग्रह का पालन करने से जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।
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