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भगवान सूर्य और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए मकर संक्रांति पर करें ये खास उपाय

एक साल में कुल मिलाकर 12 संक्रांतियां आती हैं, जिसमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है
 

मकर संक्रांति पर इन उपायों से खुश होते हैं सूर्य व शनि

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एक साल में कुल मिलाकर 12 संक्रांतियां आती हैं, जिसमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के सभी संक्रमणों में से यह संक्रमण जब भगवान सूर्य धनु राशि से शनि के घर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इस दिन पूजा-पाठ और दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से उसका फल कई गुना ज्यादा हो जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति पर ये उपाय करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सूर्योदय से पूर्व स्न्नान


शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से दस हजार गौ दान का फल प्राप्त होता है। वैसे तो प्राणी किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य करके कष्टों से मुक्ति पा सकता है लेकिन प्रयागराज संगम में स्नान का फल मोक्ष देने वाला है। मकर संक्रांति के दिन गंगाजी शिव की जटाओं से निकलकर भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिलीं। इसलिए इस दिन गंगासागर और गंगा स्नान का भी बहुत महत्व है। लेकिन कोरोना के चलते नदियों में स्न्नान करना संभव नहीं हो तो घर पर नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करना चाहिए।


सूर्यदेव को अर्घ्य


स्नान के पश्चात तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल पुष्प, लाल चन्दन, तिल आदि डालकर 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मन्त्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय आपकी दृष्टि गिरते हुए जल में प्रतिबिंबित सूर्य की किरणों पर होनी चाहिए। भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यनारायण का पूजन करने वाला व्यक्ति प्रज्ञा, मेधा तथा सभी समृद्धियों से संपन्न होता हुआ चिरंजीवी होता है। यदि कोई व्यक्ति सूर्य की मानसिक आराधना भी करता है तो वह समस्त व्याधियों से रहित होकर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है। व्यक्ति को अपने कल्याण के लिए मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।  


पुण्य लाभ के लिए दान करें


पदमपुराण के अनुसार ''उत्तरायण या दक्षिणायण आरम्भ होने के दिन जो पुण्य कर्म किया जाता है वह अक्षय होता है। इस समय किया हुआ तर्पण दान और देव पूजन अक्षय होता है। इस दिन ऊनी कपडे, कम्बल , तिल और गुड़ से बने व्यंजन व खिचड़ी दान करने का से सूर्य नारायण एवं शनि की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन चौदह चीजों का दान करने का भी धार्मिक महत्व है। यदि संभव हो सके तो किसी मंदिर या गरीब लोगों में चौदह चीजों का दान अवश्य करें।


तिल-गुड़ का करें सेवन


पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं और मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं, जो सूर्य देव के पुत्र होते हुए भी अपने पिता सूर्य से बैर रखते हैं। अतः शनिदेव के घर में सूर्य की उपस्थिति के दौरान शनि उन्हें कष्ट न दें, इसलिए तिल का दान और सेवन मकर संक्रांति में किया जाता है। इसीलिए किसी न किसी न किसी रूप मकर संक्रांति के दिन तिल व गुड़ से बने खाद्य पदार्थ का सेवन करें, ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव एवं शनि की कृपा बनी रहेगी।


                                                                                          

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