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जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व, तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है। प्रमुख तिथियों पर व्रत-त्योहार का मनाएं जाते हैं। इन तिथियों में पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी और प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। 

 

जानिए मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व

तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
 

हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है। प्रमुख तिथियों पर व्रत-त्योहार का मनाएं जाते हैं। इन तिथियों में पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी और प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। 


पंचांग के अनुसार हर माह पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि अवश्य आती है। अमावस्या और पूर्णिमा तिथि पूजा-पाठ, स्नान, दान और मंत्रों का जाप जरूर किया जाता है। मार्गशीर्ष माह में आने वाली अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या या अगहन अमावस्या के नाम से जाना जाता है। 

Margashirsha Amavasya


अमावस्या पर पितरों का तर्पण, स्नान और दान करने से पाप से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसंबर, शनिवार के दिन पड़ रही है। शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इस दिन शनि अमावस्या भी है। इसी के साथ साल का आखिरी सूर्यग्रहण भी शनि अमावस्या पर होगा। 


मार्गशीर्ष अमावस्या शुभ मुहूर्त


अमावस्या तिथि का आरंभ 03 दिसंबर 2021 को शाम 04 बजकर 58 मिनट होगा, 
वहीं अमावस्या तिथि का समापन 04 दिसंबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होगा।

Margashirsha Amavasya


मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व 2021


अमावस्या की तिथि पितरों को समर्पित होती है। ऐसे में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने का महत्व है। मान्यता है इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से उनकी आत्म को शांति मिलती है जिससे प्रसन्न होकर पितरदेव अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान, तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि


- सबसे सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रिया करके किसी पवित्र नदी में स्नान करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें 
- इसके बाद मंत्रों का जाप करते हुए स्नान के बाद जल में तिल प्रवाहित करें।
- इसके बाद अपने पितरों  और कुल देवी-देवताओं का स्मरण करते हुए पितरों को तर्पण करें और मोक्ष का कामना करें।
- स्नान और पितरों की पूजा के बाद दान करें।

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