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माघी अमावस्या को क्यों कहते हैं मौनी अमावस्या, इस दिन मौन रहने का क्या है फायदा ​​​​​​​

हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस मौनी अमावस्या का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है। इस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा।
 

मौनी अमावस्या को महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान

श्रद्धालु मौन धारण करके करेंगे स्नान व दान

हर किसी को जानना चाहिए मौन व्रत के नियम

ये है स्नान का सबसे सही समय

 

हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस मौनी अमावस्या का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है। इस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पड़ रही है। इसको लेकर बड़े स्तर पर तैयारी की जा रही है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान बेहद शुभ माना जाता है।

मौनी अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धालु मौन धारण करके संगम या नदियों में स्नान करने के लिए जाते हैं। महाकुंभ के अलावा, अन्य श्रद्धालु अन्य नदियों में स्नान करने के बाद  पुण्य अर्जित करते हैं। मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है 'मौन रहने वाली अमावस्या' है। इसलिए इस दिन स्नान व दान पुण्य करने तक लोग वेबजह की बातों को न करके मौन रहते हुए केवल भगवान का स्मरण करते हैं और स्नान दान करने के बाद ही बात करते हैं। वहीं कई साधु व संयासी पूरे मौन रहकर केवल साधना करते हैं।

गृहस्थों के लिए मौन व्रत के नियम
इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु गंगा, नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखने का विधान है हालांकि गृहस्थ लोगों के लिए दिन भर मौन रह पाना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में गृहस्थ लोग पूजा-पाठ करने के बाद अपना मौन व्रत खोल सकते हैं।

मौनी अमावस्या 2025 तिथि
पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या की तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को रात 07:35 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 29 जनवरी को शाम को 06:05 मिनट पर होगा। ऐसे में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी।

शिववास योग
मौनी अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास का संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को सायं 06: 05 मिनट तक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे।

सिद्धि योग
माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या पर सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सिद्धि योग का संयोग रात 09:,22 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ मानते हैं।  इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके अलावा मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।

मौनी अमावस्या पर करें दान
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व अधिक है। मौनी अमावस्या के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दान करना चाहिए। इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन तेल, कंबल, दूध ,चीनी, अनाज तथा अपने आवश्यकता अनुसार पैसों का दान करना चाहिए। इसके अलावा मौनी अमावस्या के दिन पशु-पक्षियों को भोजन करना चाहिए। ऐसा करते श्री पित्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

 वैदिक व ज्योतिष का महत्व
 वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मौनी अमावस्या तब मनाई जाती है जब माघ महीने के दौरान चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ आते हैं। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व और भी अधिक हो जाता है। मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और कुंडली के दसवें घर में सूर्य मजबूत है। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना जाता है, इसलिए जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में मिलते हैं तो मौनी अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है।

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