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अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन होता है बेहद शुभ, जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मंत्र

प्राचीन काल से चंद्र दर्शन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। चंद्र दर्शन के दौरान चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं।

 

अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन होता है बेहद शुभ

जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मंत्र
 

प्राचीन काल से चंद्र दर्शन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। चंद्र दर्शन के दौरान चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं।


 मान्यता के अनुसार अमावस्या के ठीक बाद चंद्रमा को देखना अत्यंत शुभ माना गयाा है। जो जातक अमावस्या तिथि पर पूरे दिन व्रत रखता है वह अगले दिन चंद्र दर्शन की रात चंद्रमा को देखकर ही भोजन करते हैं। 


तिथि और शुभ मुहूर्त 


चंद्र दर्शन की तिथि : 04  जनवरी,मंगलवार
चंद्रोदय : 04  जनवरी, प्रातः 08:47 
चंद्र अस्त: 4 जनवरी, सायं 07:20 


चंद्र दर्शन का महत्व


हिंदू ग्रंथों के अनुसार, चंद्र दर्शन को पवित्रता, खुशी और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि नवग्रहों में से एक होने के कारण चंद्रमा पृथ्वी पर जीवन को भी प्रभावित करता है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, कुंडली में चंद्र को मन का कारक माना गया है, ऐसे में कहा जाता है कि जिन जातकों का चंद्रमा सकारात्मक या उचित स्थान पर होता है, उनका जीवन सफल रहता है।


चंद्र दर्शन की पूजा विधि


मंत्रों के साथ शाम को विधिवत चांद की पूजा करें ।
चंद्र देवता को रोली, फल और पुष्प आदि अर्पित करें।
चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना उपवास खोलें।


चंद्र देव को प्रसन्न करने के मंत्र, चंद्र दर्शन का पूजा मंत्र 


ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात ।।


चंद्र देव की उपासना के वैदिक मंत्र


ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।


चंद्र देव की उपासना का पौराणिक मंत्र
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।


बीज मंत्र


ऊॅँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:

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