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नाग पंचमी के लिए ये हैं खास जानकारियां, यहां लगता है सांपों का मेला

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं।
 

सावन  माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी का त्योहार

  नाग देवता की पूजा की है परंपरा

महाराष्ट्र के बत्तीस शिराळा में सापों का होता है प्रदर्शन

सावन  माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. (Nag Panchami 2023) अबकी बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त को पड़ रही है, जिससे साफ है कि इसी दिन नाम पंचमी मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं।

हमारे  शास्त्रों के अनुसार, नाग पंचमी के दिन कुछ ऐसे कार्य भी बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए इस त्योहार के दिन विधि-विधान से नाग देवता व शिव मंदिरों में विशेष पूजन किया जाए तो जातकों को भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Nag Panchami
नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है।

हमारे शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन नवनाग की पूजा की जाती है। आज के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआँ नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। किंवदन्ति है कि इस स्थान पर तक्षक गरूड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आये, परन्तु गरूड़ जी को इसकी जानकारी हो गयी और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परन्तु अपने गुरू जी के प्रभाव से गरूड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान कर दिया। उसी समय से यहाँ नाग पंचमी के दिन से यहाँ नाग पूजा की जाती है।

इस जगह के बारे में यह मान्यता है कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहाँ पूजा अर्चना कर नाग कुआँ का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुन्डली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है, जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। महाराष्ट्र के बत्तीस शिराळा गांव में सर्पों प्रदर्शन होता हैं।

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