नागपंचमी 2025: पौराणिक नागों की कथाओं से जुड़ी श्रद्धा और आस्था का पर्व
नागपंचमी पर्व के पहले जानिए नागों के बारे खास जानकारी
इन नागों का है हमारे पुराणों में जिक्र
भारतीय संस्कृति में नागों श्रद्धा
सुरक्षा और पूजा के प्रतीक
श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नागपंचमी पर्व इस वर्ष 2025 में 29 जुलाई को मनाया जाएगा। यह पर्व भारतीय संस्कृति में नागों के प्रति श्रद्धा, सुरक्षा और पूजा का प्रतीक माना जाता है। पुराणों और महाकाव्यों में नागों की महिमा, उत्पत्ति और उनके महत्वपूर्ण योगदान का विस्तृत वर्णन मिलता है।
1. तक्षक नाग
तक्षक नाग की कथा अत्यंत प्रसिद्ध है। महाभारत में वर्णित इस कथा के अनुसार, राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डसने से हुई थी। इसके प्रतिशोध में उनके पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया, जिसमें हजारों नाग अग्नि कुंड में गिरकर भस्म हो गए। जब तक्षक नाग की बारी आई, तब वह इंद्रदेव की शरण में गया, परंतु ऋत्विजों ने उसे भी यज्ञ में खींच लिया। उसी समय आस्तिक मुनि ने जनमेजय को यह यज्ञ रोकने की सलाह दी और नाग वंश का विनाश रुक गया। यह घटना ही नागपंचमी पर्व की ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि मानी जाती है।
2. कर्कोटक नाग
कर्कोटक नाग की कथा शिव भक्ति और तपस्या से जुड़ी है। जब नागों को श्राप मिला कि वे सर्प यज्ञ में भस्म हो जाएंगे, तब कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के समक्ष शिवलिंग की आराधना की। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद दिया कि जो धर्म का पालन करेगा, उसका नाश नहीं होगा। कर्कोटक उसी शिवलिंग में समा गए और तभी से उस स्थान को कर्कोटेश्वर कहा जाने लगा। मान्यता है कि जो श्रद्धालु पंचमी, चतुर्दशी या रविवार को कर्कोटेश्वर की पूजा करते हैं, उन्हें सर्पदोष या सर्प भय नहीं होता।
3. कालिया नाग
कालिया नाग की कथा भी श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है। कालिया नाग यमुना नदी में जहर घोल रहा था, जिससे जल दूषित हो गया था। श्रीकृष्ण ने यमुना में उतरकर कालिया नाग को पराजित किया और उसे नदी छोड़ने का आदेश दिया। यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत और प्राकृतिक संतुलन का संदेश देती है।
नागपंचमी पर इन कथाओं का स्मरण न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करता है, बल्कि प्रकृति और जीवों के साथ सह-अस्तित्व की भावना को भी बल देता है।
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