नागपंचमी के त्यौहार की यह है महत्ता, ऐसे करें पूजा
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अबकी बार श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि पर 25 जुलाई को नागपंचमी का पर्व रवियोग और शिवयोग में मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि शनिवार को पड़ने से रवि योग बन रहा है। रवि योग में नागपंचमी ऋण मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए विशेष शुभ है। नागपंचमी उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण में पड़ रही है। इस संयोग से शिव योग बन रहा है, जो नाग पूजन के लिए दुर्लभ माना गया है।
नागपंचमी पर नाग पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर दो बजकर 19 मिनट से सूर्यास्त तक है। हालांकि पंचमी की तिथि 26 जुलाई की दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।
कालसर्प योग के जातकों के लिए नागपंचमी के दिन काशी के नागकूप पर पूजा विशेष फलदायी मानी गई है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण ऐसा संभव नहीं हो सकेगा। श्रद्धालु नागदेवता के दर्शन भी नहीं कर पाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देव हैं। भृगु संहिता विशेषज्ञ पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार नाग पूजन का विधान गरुड़ पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है।
नागपंचमी को घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग का चित्र बनाकर अनंत आदि नौ नामों वाले नागों का पूजन करना चाहिए। सर्पदंश से सुरक्षित रहने के लिए नागपंचमी के दिन उनकी वामी पर दूध चढ़ाएं एवं चांदी या सोने या मिट्टी का नाग बनाकर हल्दी, चंदन, धूप पंचामृत, नैवेद्य आदि से नागों की पूजा करें।
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