इसलिए नरक चौदस के साथ मनाई जाती है हनुमान जयंती, यह है पूजा का मुहुर्त
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आमतौर पर दिवाली के पंच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन नरक चौदस के साथ हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इस बार बजरंग बली के दिन शनिवार को ही हनुमान जयंती पड़ने से इसका खास महत्व हो गया है। शहर के छोटे-बड़े सभी हनुमान मंदिरों में विग्रह के शृंगार एवं विविध अनुष्ठान होंगे।
शनिवार को भगवान संकटमोचन के विग्रह का कलेवर भी बदला जाएगा। अर्चक दल के सदस्य पुराना कलेवर हटा कर सिंदूर लेपन करेंगे। रुद्राभिषेक एवं सुंदरकांड के पाठ के बाद सायंकाल भजन संध्या भी होगी।
पौराणिक महत्व
नरक चतुर्दशी (काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली या नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है) ए हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर अश्विन महीने की विक्रम संवत्में और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदहवें दिन) पर होती है। यह दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का दूसरा दिन है।
हिन्दू साहित्य बताते हैं कि असुर (राक्षस) नरकासुर का वध कृष्ण, सत्यभामा और काली द्वारा इस दिन पर हुआ था।यह दिन सुबहधार्मिक अनुष्ठान, उत्सव और उल्हास के साथ मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी है रूप चौदस
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल तिल का तेल लगाकर अपामार्ग यानि चिचड़ी की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने का भी अपना महत्व है। ऐसा विश्वास किया जात है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं। इस व्रत में प्रात स्नान के बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य प्राप्त होता है।
क्या है नरक चौदस का धार्मिक महत्व
नरक चतुर्दशी को नरका चौदस और हनुमान जयंती के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। सायंकाल चार बत्तियों वाला दीपक घर के बाहर कूड़े के ढेर पर जलाना चाहिए। दीपक पुराना होना चाहिए। इस क्रिया से पूर्व प्रात:काल सरसों का तेल और उपटन लगाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन यमराज के निमित्त तर्पण अवश्य करना चाहिए। इस तिथि में सूर्यास्त से लेकर अगले सूर्योदय के मध्य हनुमान दर्शन की विशेष महत्ता है। हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में हुआ था।नरक चतुर्दशी-हनुमान जयंती
यम दीपक दानः सायं 5:36 बजे से सायं 7 बजे तक
मेष लग्न में हनुमान पूजन ः सायं 04:47 बजे से सायं 06:25 बजे तक
चतुर्दशी का आरंभः 26 अक्तूबर को दिन में 02:10 बजे
चतुर्थी का समापन ः 27 अक्तूबर को दिन में 11:51 बजे
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