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पापमोचनी एकादशी की कर लीजिए तैयारी, पूजा में इन बातों का जरूर रखें ध्यान

पापमोचनी एकादशी के मौके पर तुलसी पूजा भी जरूर करनी चाहिए। स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। फिर चुनरी, कलावा, फूल, कुमकुम, नारियल और मिठाई आदि अर्पित करें।
 

पापमोचनी एकादशी के व्रत व पारण की जानकारी

व्रत के दिन जरूर करें तुलसी की पूजा

व्रत के पारण के दौरान रखें इस बात का ध्यान

हमारे हिंदू धर्म के पंचांग के और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत मार्च या अप्रैल महीने में पड़ता है। पापमोचनी एकादशी को लेकर धार्मिक मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी व्रत करने से जातक को पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। यही कारण है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना का विधान है। एकादशी व्रत के समापन को पारण कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।

Papmochani Ekadashi

 पापमोचनी एकादशी व्रत और व्रत पारण तिथि
हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 मार्च 2025 को एकादशी तिथि सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर प्रारंभ होगी और 26 मार्च 2025 को सुबह 03 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि में पापमोचनी एकादशी व्रत 25 मार्च 2025, मंगलवार को रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी के मौके पर तुलसी पूजा भी जरूर करनी चाहिए। स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। फिर चुनरी, कलावा, फूल, कुमकुम, नारियल और मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद तुलसी चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पापमोचनी एकादशी व्रत पारण का समय- पापमोचनी एकादशी व्रत का पारण 26 मार्च 2025, बुधवार को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 26 मार्च को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से शाम 04 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 09 बजकर 14 मिनट है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है।

हरि वासर में न करें एकादशी व्रत पारण
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली चौथाई अवधि है। इसलिए एकादशी व्रत तोड़ने के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना गया है।

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