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परिवर्तिनी एकादशी : जानिए इस व्रत का महत्व और पूजन विधि

 

हमारे हिंदू धर्म में बहुत सारे ऐसे त्योहार हैं, जिनके बारे में हम बहुत कम जानते हैं और इसी वजह से बहुत सारे त्यौहार हम मना नहीं पाते हैं। हमें अपने तीज त्योहार और धार्मिक त्योहारों के बारे में पूरी जानकारी आवश्यक है। तभी हम इसका पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

 हम आपको बता रहे हैं परिवर्तनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2021) के बारे में, जो आपको धन-धान्य और सुख सुविधाओं से परिपूर्ण करने में मदद कर सकती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तन एकादशी या पद्मा एकादशी (Padma Ekadashi 2021) के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है और यह पूजा करने वाले हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस दिन व्रत करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और ऐसा करने वाले लोगों के घर में कभी भी धन की कोई कमी नहीं होती है।

 अबकी बार परिवर्तनी एकादशी अर्थात पद्मा एकादशी 17 सितंबर 2021, दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है। इस दिन हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए पूजा पाठ करना है। 

Parivartini Ekadashi 2021

परिवर्तिनी एकादशी पूजन का समय (Parivartini Ekadashi Puja Timing)

परिवर्तिनी एकादशी 16 सितंबर, गुरुवार को सुबह 9 बजकर 37 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 17 सितंबर की सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। इसीलिए आपको पूजा पाठ करते समय इस समय का ध्यान रखना चाहिए और इसी के अनुसार पूजन करें।

पूजन से मिलती है पापों से मुक्ति 

भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और एकादशी के दिन वे करवट बदलते हैं। करवट बदलने से ही भगवान विष्णु का स्थान परिवर्तन होता है, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति या महिला को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं इससे माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और धन धान्य की कमी नहीं रहती है। 

वाजपेय यज्ञ का फल

Parivartini Ekadashi 2021


 
कहा जाता है कि जो श्रद्धालु परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखते हैं और वामन अवतार की विधिपूर्वक पूजा करता हैं, उन्हें वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सब कुछ दान में मांग लिया था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी प्रतिमा भगवान विष्णु ने सौंप दी थी। इस वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान (Important Tips For Parivartini Ekadashi)...

1-परिवर्तनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार फलाहार या निर्जल व्रत भी रखते हैं। जैसी आपकी शक्ति हो इसके अनुरूप पूजापाठ का चयन करें।
2- विधान के अनुसार परिवर्तनी एकादशी का व्रत दशमी की तिथि से ही प्रारंभ हो जाता है तथा इसका पारण द्वादशी तिथि पर करना चाहिए, तभी इसका वास्तविक फल मिलता है।
3- एकादशी के व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, बल्कि एक दिन पूर्व दशमी तिथि के सूर्यास्त के बाद से अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
4- परिवर्तनी एकादशी या अन्य एकादशी के दिन भी जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हों, उन्हें चावल नहीं खाना चाहिए। एकादशी के दिन चावल न खाने का महत्व है।
5- एकादशी के व्रत के दिन किसी को झूठ नहीं बोलना चाहिए तथा इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए।
6- परिवर्तनी एकादशी के दिन घर के किसी भी सदस्य को मांस, मदिरा आदि तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
7- परिवर्तनी एकादशी के व्रत का पारण गरीब ब्राह्मण को भोजन कराके या सीधा दान करने करना चाहिए, तो इसका फल अधिक होता है।
8- परिवर्तनी एकादशी का व्रत रखने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है और धन धान्य से संपन्नता मिलती है।

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