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परिवर्तिनी एकादशी आज, भगवान विष्णु की कृपा से दूर होंगी विवाह में अड़चनें

पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर होगा और यह अगले दिन 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
 

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं परिवर्तिनी एकादशी

भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा के दौरान करवट बदलते हैं

आज की एकादशी तीन शुभ योगों का संगम

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा के दौरान करवट बदलते हैं, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। इस वर्ष यह एकादशी 3 सितंबर को मनाई जा रही है।

माना जाता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव और विधि-विधान के साथ व्रत रखने से जीवन के बड़े से बड़े संकट दूर हो सकते हैं, और खास तौर पर विवाह में आ रही बाधाएं भी खत्म हो सकती हैं।

शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर होगा और यह अगले दिन 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। व्रत का पारण, यानी समापन, 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट के बीच किया जा सकता है।

इस साल यह एकादशी तीन शुभ योगों में पड़ रही है: आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग। इन शुभ संयोगों के कारण इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

आयुष्मान योग: यह योग लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।

सौभाग्य योग: यह घर-परिवार में सुख-शांति लाता है।

रवि योग: यह जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल, मौसमी फल, पंचामृत, तुलसी दल और पीले वस्त्र अर्पित करें। पूजा के दौरान 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।

पूरे दिन फलाहार या निर्जल व्रत रखें और मन को शांत रखें। रात में भगवान के भजन-कीर्तन करें। अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।

विवाह में आ रही अड़चनों के लिए खास उपाय
परिवर्तिनी एकादशी का संबंध विशेष रूप से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने से है। कई बार ऐसा होता है कि अच्छे रिश्ते आने के बावजूद बात नहीं बन पाती। इसका कारण कुंडली में कमजोर गुरु या शुक्र ग्रह की स्थिति भी हो सकता है।

ऐसी स्थिति में, यह एकादशी किसी वरदान से कम नहीं है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद किसी गरीब व्यक्ति को पीले वस्त्र, चने की दाल और पीली मिठाई का दान करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होने लगती हैं। जिन युवाओं की शादी में बार-बार अड़चनें आ रही हैं, उन्हें यह उपाय जरूर करना चाहिए।

अन्य उपाय जो लाएंगे जीवन में सुख-समृद्धि
परिवर्तिनी एकादशी के दिन कुछ और भी उपाय बताए गए हैं, जिनसे जीवन की अन्य समस्याओं से भी मुक्ति मिल सकती है:

तुलसी की पूजा: इस दिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और उसकी 5 या 7 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

करियर में सफलता: भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और पीले फूल चढ़ाने से करियर में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

आर्थिक संकट दूर करें: शाम को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। इससे आर्थिक संकट दूर होते हैं और पितृ दोष का भी नाश होता है।

पुण्य की प्राप्ति: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और फल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में शांति बनी रहती है। 

माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए छोटे-छोटे उपाय भी जीवन में बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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