परमा एकादशी का है खास महत्व, जानिए इसकी कथा और व्रत का शुभ मुहूर्त
अधिक मास में पड़ने वाली है दो एकादशी
परमा एकादशी के दिन पूजा का महत्व
जानिए 11 या 12 अगस्त को मनायी जाएगी एकादशी
अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तीन साल में एक बार आती है. वैसे भी परमा एकादशी हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत काफी शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। सालभर में 24 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एक-एक एकादशी पड़ती है लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण 2 एकादशी बढ़ गई है।
अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तीन साल में एक बार आती है। श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को परमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त 2023 को सुबह 05:06 मिनट पर होगा, एकादशी तिथि 12 अगस्त 2023 सुबह 06:31 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 11 अगस्त को रखा जाना चाहिए लेकिन तिथि क्षय होने के कारण परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा।
हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। अधिक मास या पुरुषोत्तम मास में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि विधि-विधान से परमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है।इसके अलावा परमा एकादशी व्रत में स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गोदान का विशेष महत्व बताया गया है।
अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 11 अगस्त 2023 को सुबह 05:06 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि 12 अगस्त 2023 सुबह 06:31 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में परमा एकादशी व्रत शनिवार 12 अगस्त 2023 को किया जाएगा. साथ ही इस व्रत के पारण का समय 13 अगस्त सुबह 05:49 से 08:19 मिनट तक रहेगा।
परमा एकादशी तिथि प्रारंभ - 11 अगस्त,शुक्रवार को सुबह 5:06 मिनट से शुरू
परमा एकादशी तिथि समापन - 12 अगस्त , शनिवार को सुबह 6:31 मिनट पर खत्म
परमा एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना करने से पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है। भगवान विष्णु को पंचामृत अर्पित करने से पूजा का विशेष फल मिलता है। परमा एकादशी व्रत के दिन व्रत कथा का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
परमा एकादशी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब इस व्रत को कुबेर जी ने किया था तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें धनाध्यक्ष बना दिया था। इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को पुत्र, स्त्री और राज्य की प्राप्ति हुई थी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के दौरान पांच दिन तक स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौ दान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसे धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि परमा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर और स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु का पंचोपचार विधि से पूजन करें। निर्जला व्रत रखकर विष्णु पुराण का श्रवण या पाठ करें। इस दिन रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। इस दिन दान-दक्षिणा जरूर करें। द्वादशी के दिन प्रात: भगवान की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को परमा एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। पौराणिक कथा के मुताबिक, प्राचीन काल में काम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था और उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। पवित्रा बहुत ज्यादा धार्मिक थी और परम सती व साध्वी स्त्री थी। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने विदेश धन कमाने जाने का विचार किया, लेकिन पवित्रा ने कहा कि धन और संतान पूर्व जन्म के फल से प्राप्त होते हैं, इसलिए आप चिंता न करें।
कुछ दिनों बाद महर्षि कौंडिन्य गरीब ब्राह्मण के घर आए. ब्राह्मण दंपति ने तन-मन से महर्षि कौंडिन्य की सेवा की तो उन्होंने गरीबी दूर का धार्मिक उपाय बताया. महर्षि कौंडिन्य ने बताया कि अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इतना कहकर मुनि कौंडिन्य चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया और उन्हें सुखी जीवन प्राप्त हुआ।
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