क्या होता है पितृ दोष, कुंडली में कैसे बनता है पितृ दोष..?
कितने प्रकार का होता है पितृ दोष
पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय
इसलिए खास हैं पितृ पक्ष के 15 दिन
हमारे देश में धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का बड़ा महत्व है। हमारे सनातन धर्म में पितृ पक्ष का को लेकर कई तरह की मान्यताएं और क्रिया कलाप बताए जाते हैं, जिनका हमारे वंश और पीढ़ी पर प्रभाव पड़ा है। पितृ पक्ष हमें अपने पूर्वजों को याद करने का एक मौका देता है, इसीलिए हमारे जीवन में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है।
पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों के लिए शुभ होते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों का आशीर्वाद व्यक्ति और उसके परिवार पर बना रहता है। आपके पूर्वज भी प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देंगे।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ दोष से जुड़े कुछ उपाय करना जरूरी होता है। इन उपचारों को करने से पितृ जनित कष्ट और पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि तभी पितृदोष से मुक्ति के लिए पूजा-पाठ आवश्यक है। पितृ दोष कई प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं कितने प्रकार के होते हैं पितृ दोष।
क्या होता है पितृ दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर हमारे पूर्वजों की आत्मा तृप्त नहीं है, तो वे धरती पर रहने वाले अपने वंशजों को कष्ट देती है। ज्योतिषशास्त्र में इसे पितृदोष कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, हमारे पूर्वजों की आत्माएं मृत्यु के बाद भी हमारे परिवारों पर नजर रखती हैं। जो व्यक्ति अपने पूर्वज का अनादर करता है या कष्ट देता है उन्हें दुखी आत्माएं श्राप देती हैं, इस श्राप को पितृ दोष कहा जाता है।
कुंडली में कैसे बनता है पितृ दोष?
ज्योतिषीय घटनाओं के अनुसार पितृदोष तब होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न और पंचम भाव में सूर्य, मंगल और शनि स्थित हों। इसके अलावा कुंडली के आठवें भाव में बृहस्पति और राहु का मिलन होने पर भी पितृदोष होता है। जब कुंडली के मध्य या त्रिकोण में राहु मौजूद हो तो पितृ दोष उत्पन्न होता है। इसके अलावा, किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष तब बनता है जब सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का संबंध राहु से हो। यदि कोई व्यक्ति अपने बड़ों का अनादर करता है या उनकी हत्या कर देता है तो उस व्यक्ति पर पितृ दोष लग जाता है।
कितने प्रकार का होता है पितृ दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृदोष कितने 4 प्रकार के होते हैं, जो नीचे दिए गए है।
1. सूर्यकृत व मंगलकृत पितृ दोष
2. कुंडली पितृदोष
3. स्त्री पितृ दोष
4. शापित पितृ दोष
ऋण के प्रकार
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृदोष 10 प्रकार के हो सकते हैं। इन दस प्रकार के पितृ दोषों के परिणाम जीवन में अलग-अलग तरह से प्रकट होते हैं। इसके अलावा प्रत्येक पितृदोष के लिए पूजा और उपचार के साधन भी अलग-अलग होने चाहिए। तभी आपको सही परिणाम मिल सकते हैं और पितृ दोष से राहत मिल सकती है।
पूर्वजों द्वारा किये गए गलत कर्मों को ऋण के रूप में उनके वंशजों द्वारा चुकाना पड़ता है। लाल किताब के अनुसार ये ऋण 10 प्रकार से चुकाना पड़ता है। ये 10 प्रकार के ऋण निम्न प्रकार हैं।
1. पूर्वजों का ऋण
2. पितृ ऋण
3. मातृ ऋण
4. स्वयं का ऋण
5. पत्नी का ऋण
6. पुत्री ऋण
7. संबंधियों का ऋण
8. जालिमाना ऋण
9. अजन्मा ऋण
10. कुदरती ऋण
इन ऋणों के आधार पर पितृ दोष लगता है, जिसे दूर करने के लिए आपको उसी दोष के निमित्त पूजा करवानी पड़ती है। इसका असर तभी होता है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है। इसलिए ऐसे लोगों के लिए उपाय करवाना बहुत जरूरी होता है। ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक अमावस्या के घर में "श्रीमद्भागवत के गजेन्द्र मोक्ष " अध्याय का पाठ करना चाहिए।
- चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा से एक दिन पहले पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाना और भगवान विष्णु से प्रार्थना करना शुभ माना जाता है।
- कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को सवा किलो चावल लाना चाहिए और दिन में सात बार एक मुट्ठी चावल लेकर पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए। ऐसा लगातार 21 दिनों तक करने से पितृदोष के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
- कुंडली में पितृ दोष बनने पर व्यक्ति को अपने घर की दक्षिणी दीवार पर अपने पितरों की तस्वीर लगानी चाहिए और प्रतिदिन उन्हें हार पहनाना चाहिए।
- पितृ दोष निवारण के तौर पर हर शनिवार को काले कुत्ते को उड़द के आटे से बने वड़े खिलाने से शनि, राहु और केतु तीनों ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है।
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