अबकी बार महाशिवरात्रि का यह है शुभ मुहूर्त
tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। इस बार शिवरात्रि 21 फरवरी को मनायी जाएगी।
महाशिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की तिथि: 21 फरवरी 2020
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक
रात्रि प्रहर की पूजा का समय: 21 फरवरी 2020 को शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि?
शिवरात्रि मनाए जाने को लेकर तीन मान्यताएं प्रचलित हैं:
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे। मान्यता है कि शिव जी अग्नि ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हु थे, जिसका न आदि था और न ही अंत. कहते हैं कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.। वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे।
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्पन्न हुए थे। हालांकि 64 में से केवल 12 ज्योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्ध है और इन्हें 12 ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है, जिनकी पूजा भी होती है।
तीसरी मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था।
पूजन सामग्री
महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पहले ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें, जो इस प्रकार है: शमी के पत्ते, सुगंधित पुष्प, बेल पत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, दीप, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, दक्षिणा, पूजा के बर्तन आदि।
महाशिवरात्रि की पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें
इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें. अगर ज्यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं
अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और “ऊं नम: शिवाय” बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक कर चढ़ाएं
अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें….
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं….
फिर कर्पूर से आरती कर प्रसाद बांटें….
शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है।
शिवरात्रि का पूजन ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों प्रहरों में से किसी भी एक प्रहर में सच्ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं।
पूजा का मंत्र
महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए।
बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम्। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥
गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*