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जानिए 2024 में कब है पौष पुत्रदा एकादशी ? जानें सही तिथि और मुहूर्त, जिनको कोई संतान नहीं है वो रखे पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत

पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
 
पौष पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित

पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह व्रत पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। पुत्रदा एकादशी साल के दिसंबर-जनवरी महीने में आती है। 


पुत्रदा एकदशी साल में दो बार आती है पहली जिसे श्रावण पुत्रदा एकदशी कहा जाता है जो जुलाई-अगस्त के महीने में आती है और दूसरी पौष पुत्रदा एकदशी जो दिसंबर-जनवरी के महीने में आती है। पौष पुत्रदा एकादशी उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है। यह दिन विशेष रूप से विष्णु के अनुयायी वैष्णवों द्वारा मनाया जाता है। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत उन सभी विवाहित महिलाओं और पुरुषों को रखना चाहिए, जिनको कोई संतान नहीं है।


 मान्यता है इससे वंश का विस्तार होता है। संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं। इस साल पौष पुत्रदा एकादशी 2024 की सही तिथि, मुहूर्त क्या है, आइए जानते हैं। 

पौष पुत्रदा एकादशी तिथि 


पौष शुक्ल एकादशी तिथि आरंभ: 20 जनवरी 2024 सायं 07:27 मिनट से 
पौष शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त: 21 जनवरी 2023 सायं 07:28 मिनट पर 
एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय से प्रारम्भ होता है इसीलिए उदयातिथि के अनुसार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाएगा। 


विष्णु पूजन का समय - प्रातः 08:34 से दोपहर 12:32
पौष पुत्रदा एकादशी पारण समय- 22 जनवरी प्रातः 07:14 से प्रातः 09:21 

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व


'पुत्रदा' शब्द का अर्थ है 'पुत्रों का दाता' और चूंकि यह एकादशी हिंदू महीने 'पौष' के दौरान आती है, इसलिए इसे 'पौष पुत्रदा एकादशी' के रूप में जाना जाता है। एक वर्ष में दो पुत्रदा एकादशियां आती हैं। पहली पुत्रदा एकादशी पौष माह में और दूसरी पुत्रदा एकादशी श्रावण माह में आती है। यह एकादशी मुख्य रूप से उन जोड़ों द्वारा मनाई जाती है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। जो भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु भक्तों को सुख-समृद्धि और वांछित इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में, पौष पुत्रदा एकदशी को 'वैकुंठ एकदशी', 'स्वर्गवथिल एकदशी' या 'मुक्कोटि एकदशी' के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत के प्रताप से संतान पाने की मनोकामना पूरी होती है, करियर में बच्चों को लाभ मिलता है।

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