मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी की कथा जारी, सीता के विदाई प्रसंग पर भावुक हुए श्रोता
सीता को विदा करते वक्त विचलित हुए थे विदेह राजा जनक
सबकी आंखों से बहते रहे आंसू
अयोध्या में अयोध्या में था जश्न
चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बेन गांव में हनुमान मंदिर पर चल रहे सात दिवसीय श्रीराम कथा की छठीं निशा पर मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि भगवान के भजन से मनुष्य को मुक्ति प्रदान होता है। इंसान भले ही जीवन में कितने पाप कर्म किए हो, लेकिन जब उसके अंदर का ज्ञान जागृत हो और वह प्रभु का स्मरण करें तो अंत समय में भी भगवान का नाम सुमिरन करने से मुक्ति मिल जाती है।
कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि मिथिला से माता सीता की विदाई का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि सीता जी विदा होने का दृश्य काफी करुणामई रहा। नगर का ऐसा कोई भी मानव तथा ऐसा कोई भी प्राणी ना रहा हो जिसके आंखों से आंसू ना निकला हो। माता सुनैना तो अपनी आंखों की तारा पुत्री सीता के विदाई के समय काफी विचलित हो उठी। पिता विदेह राजा जनक पुत्री के विदा होने का दर्द सहन नहीं कर पाए और फूट-फूट कर रोने लगे जहां तक सीता जी की पालकी दिखाई देती रही उनके आंखों से असुरों के नेत्र बहते रहे और वह उन्हें देखते रहे। ऐसे लग रहा है जैसे एक राजा का पूरा राज पाठ पूरा धन दौलत उनसे दूर चला गया हो।
वहीं अयोध्या में सीता सहित चारों पुत्र एवं चारों बहुओं के आने की खुशी में पूरी अयोध्या नगरी को सजाया गया था। राजमहल में मंगल गीत गाए जा रहे थे माता कौशल्या सहित कैकेई, सुमित्रा सभी माताओं ने बहुओं बड़े ही आदर के साथ राजमहल में प्रवेश कराया। वहीं पूरे अयोध्या नगरी में हर तरफ खुशियां ही खुशियां थी।
कथा के दौरान डॉ गीता शुक्ला, संजय बैरागी, प्रताप नारायण दुबे, रिंकू फौजी, मनोज तिवारी, उदय प्रताप द्विवेदी, ओम प्रकाश जायसवाल, मंगल प्रसाद, मोनू दुबे, अभय मौर्य, कंचन तिवारी सहित भारी संख्या में कथा प्रेमी उपस्थित रहे।
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