जीवन में कमाए गए सभी पुण्य बुरा कर्म करने से होते हैं नष्ट, एक बुरा कर्म करने से रावण का हुआ अंत
चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बेन गांव में राम कथा सुनाती हुई कथावाचक मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि भगवान शिव रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपना महानतम भक्त कहा। भगवान शिव से शक्ति अर्जित कर रावण को अहंकार हो गया और वह छल बस माता सीता का अपहरण कर लिया और उसका अंत होना सुनिश्चित हो गया। वह बेन गांव में चल रहे सात दिवसीय रामकथा के दूसरी निशा पर बुधवार की रात श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रावण के एक बुरा कर्म के चलते उसके कठोर साधना और तपस्या से अर्जित किया हुआ सारा पुण्य नष्ट हो गया। इसलिए मनुष्य को जीवन में अच्छे कर्मों को अपना कर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। शिव कथा का वर्णन सुनाते हुए मानस मयूरी ने कहा कि ब्रह्मा जी के कहने पर माता सती के पिता राजा दक्ष ने भगवान शिव से अपनी पुत्री का विवाह किया।
विवाह संपन्न होने के बाद राजा दक्ष ने एक दिन भगवान शंकर का अपमान किया जिससे रुष्ट होकर माता सती ने अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी। माता सती के मृत्यु के बाद भगवान शिव साधना में लीन हो गए। उस वक्त तारकासुर नाम से एक असुर का आतंक था देवता उससे भयभीत थे। जबकि तारकासुर का वध भगवान शिव के संतान के द्वारा ही होना सुनिश्चित था। इसलिए भगवान शिव का विवाह करना और उनसे संतान की उत्पत्ति होना आवश्यक हो गया था। देवताओं के काफी विनती के बाद किसी तरह भगवान शिव का विवाह पार्वती जी के साथ संपन्न हुआ। जिनसे उत्पन्न उनकी संतान कार्तिकेय ने ताडरसुुर का का वध कर देवताओं की समस्या को दूर किया।
कथा के दौरान प्रताप नारायण द्विवेदी, रामदुलारे तिवारी, भैरो जायसवाल, मनोज तिवारी, पंचदेव द्विवेदी, कंचन तिवारी, माधुरी, सुनैना आदि श्रोताओं ने राम कथा का रसपान किया।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*