बेहद महत्वपूर्ण होती है सावन की शिवरात्रि, यूं करेंगे पूजा तो बरसेगी महादेव की कृपा
हर महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है वहीं सावन की शिवरात्रि को तो भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है
सावन के सोमवार के साथ ही प्रदोष व सावन की शिवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण होती है और इस दिन शिव पूजा को शुभ फलदायी माना जाता है।
सावन का पावन महीना चल रहा है जो भोलेनाथ को प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना होती है। हर दिन शिव-शंकर का जलाभिषेक किया जाता है, उनके मंत्र जपे जाते हैं वहीं सावन के सोमवार के साथ ही प्रदोष व सावन की शिवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण होती है और इस दिन शिव पूजा को शुभ फलदायी माना जाता है।
हर महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है वहीं सावन की शिवरात्रि को तो भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है जिससे कि शिव कृपा बरस सके और सारे कष्ट दूर हो जाए। माना जाता है कि सावन के महीने में महादेव परिवार समेत धरती पर विराजते हैं इसी वजह से उनकी पूजा की जाती है। इस बार सावन की शिवरात्रि 6 अगस्त शुक्रवार को है। इसी दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी।
सावन शिवरात्रि का महत्व
वैसे तो हर माह मासिक शिवरात्रि आती है पर सावन के महीने की शिवरात्रि का महत्व अधिक है क्योंकि इस महीने शिव जी अपने पूरे परिवार के साथ धरती पर विराजते हैं और जो भक्त भक्ति भाव से उनकी पूजा-अर्चना करता है उसके सारे कष्ट दूर होते हैं औ उसे मनचाहा फल मिलता है। दांपत्य सुख के लिए भी इस दिन शिव जी की विशेष पूजा की जाती है।
सावन शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन मास चतुर्दशी तिथि आरंभ 06 अगस्त, शुक्रवार की शाम 06 बजकर 28 मिनट से
सावन मास चतुर्दशी तिथि समापन: 07 अगस्त, शनिवार की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर।
शिवरात्रि व्रत पारण का समय: 07 अगस्त, शनिवार की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक।
अन्य मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:20 से 05:03 तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:00 से 12:54 तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:41 से 03:34 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:55 से 07:19 तक
शिव पूजा के लिए सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
यूं करें सावन शिवरात्रि पर पूजा
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सावन शिवरात्रि पर व्रत रखकर अगले दिन शुभ पारण मुहूर्त में व्रत तोड़ें। भगवान शिव की विशेष कृपा होगी।
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