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शरद पूर्णिमा की करिए तैयारी, घर में घर में सौभाग्य और समृद्धि लाने के लिए करें व्रत व पूजा

हिंदू धर्म में हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है।

 

शरद पूर्णिमा पर पूजा करने से घर में आती है सौभाग्य और समृद्धि

जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं

शरद पूर्णिमा का है आध्यात्मिक कनेक्शन

हिंदू धर्म में हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात को बहुत खास माना जाता है। क्योंकि इस रात चंद्रमा पूरी तरह चमकता है यानी चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 


माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर पूजा करने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है और चांदनी रात में खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन मंदिर के दर्शन करने से आपका मन शांत होगा। शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक विकास के लिए एक अच्छा अवसर है।

शरद पूर्णिमा 2024 तिथि 


अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 16 अक्टूबर, रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर 
अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर, सायं 04 बजकर 55 मिनट पर  
शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। चन्द्रोदय का समय 05 बजकर 05 मिनट रहेगा। 


शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें?


चंद्रमा को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें।
देवी लक्ष्मी की पूजा करें और धन के लिए प्रार्थना करें।
घर में दीपक जलाएं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी।
देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
धार्मिक ग्रंथ पढ़ें। 
जरूरतमंदों को दान करें।


शरद पूर्णिमा के दिन न करें ये काम 


नकारात्मक विचारों को अपने मन में न आने दें।
किसी से विवाद न करें।
क्रोध न करें। 
आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए। 


इन बातों पर विशेष ध्यान दें


शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन न करें। साथ ही इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन भी वर्जित है। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें और काले कपड़े ना पहने। चमकीले सफेद कपड़े पहनें तो बेहतर रहेगा।


शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर का भोग लगाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों के प्रभाव से खीर का अमृत रस घुल जाता है। खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही रखें। अन्य धातुओं का प्रयोग न करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर में किसी भी तरह का झगड़ा या कलह नहीं होना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आती है।

                                                                                                                                                                                                                                                                             

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