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सावन में माथे पर लगाएंगे त्रिपुंड तो प्रसन्न होंगे भोलेनाथ, जानें इसका महत्व व इसे धारण करने के लाभ

भक्त सावन में विशेषरूप से अपने माथे पर त्रिपुंड धारण करते हैं जिसे तीन अंगुलियों से लगाया जाता है।
 

सावन सोमवार की पूजा में तो त्रिपुंड का विशेष महत्व है। शिवजी को स्वयं भी हम हर चित्र या प्रतिमा में त्रिपुंड लगाए हुए ही देखते हैं। इसीलिए इसे शिव तिलक भी कहते हैं। 

भगवान शिव-शंकर को समर्पित है सावन का महीना और इस महीने में देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त कई तरह के उपाय करते हैं जिससे कि उन्हें मनचाहा फल मिल सके। इन्हीं उपायों में से एक उपाय है माथे पर भस्म या चंदन से तीन रेखाएं बनाना जिसे त्रिपुंड कहते हैं। 

भक्त सावन में विशेष रूप से अपने माथे पर त्रिपुंड धारण करते हैं जिसे तीन अंगुलियों से लगाया जाता है। सावन सोमवार की पूजा में तो त्रिपुंड का विशेष महत्व है। शिवजी को स्वयं भी हम हर चित्र या प्रतिमा में त्रिपुंड लगाए हुए ही देखते हैं। इसीलिए इसे शिव तिलक भी कहते हैं। भक्तजन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए त्रिपुंड धारण कर तो लेते हैं पर कम ही लोग जानते हैं कि त्रिपुंड का क्या महत्व है, इसको कैसे लगाया जाता है और आखिर यह त्रिपुंड शिवजी को इतना प्रिय क्यों है ? 

आइये यहां जानते हैं त्रिपुंड का महत्व और इसे धारण करने का सही तरीका ....

आखिर ये त्रिपुंड है क्या 

माथे पर भस्म या चंदन से बनी तीन रेखाओं को त्रिपुंड कहते हैं। इस त्रिपुंड को मध्यमा, अनामिका और अंगूठे से बनाया जाता है। माना जाता है कि सावन में त्रिपुंड लगाने से जहां शिवजी की कृपा प्राप्त होती है वहीं दूसरी ओर इसे लगाने से व्यक्ति के मस्तिष्क को शीतलता मिलती है। 

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त्रिपुंड में होता है देवताओं का वास 

त्रिपुंड की इन तीन रेखाओं में नौ देवताओं का वास माना जाता है। प्रथम रेखा के देवता महादेव हैं। वे 'अ' कार, गार्हपत्य अग्नि-भू रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, पृथ्वी, धर्म, प्रातः सवन हैं। 
 
दूसरी रेखा के देवता महेश्वर हैं जो 'उ' कार दक्षिणाग्नि आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद माध्यन्दिन सवन इच्छाशक्ति, अन्तरात्मा हैं। 
 
तीसरी रेखा के देवता शिव हैं वे 'म' कार आह्वानीय अग्नि परात्मारूप तमोगुण स्वर्गरूप, ज्ञानशक्ति, सामवेद और तृतीय सावन हैं। 
 
इन तीन देवताओं को नमस्कार करके शुद्ध होकर त्रिपुंड धारण करने से सब देवता प्रसन्न होते हैं। 

त्रिपुंड लगाने से होते हैं ये लाभ 

जो भक्त सावन में अपने माथे पर त्रिपुंड लगाकर शिवपूजा करते हैं, व्रत करते हैं साथ ही भोलेनाथ के मंत्रों का जाप करते हैं उनके सारे कष्ट भोलेनाथ हर लेते हैं साथ ही उनके मन में किसी तरह के बुरे ख्याल भी नहीं आते। इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है और मन में सात्विकता का प्रवाह होता है। इसके अलावा त्रिपुंड लगाने से भक्त की सारी मनोकामनाएं भोलेनाथ शीघ्र ही पूरी कर देते हैं। 

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