अजा एकादशी पर यूं पूरे विधि-विधान से करेंगे श्री हरि की पूजा तो मिलेगा शुभ फल, जानें महत्व, मुहूर्त व पूजा विधि
भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह भाद्रपद महीने के साथ ही सितंबर माह की भी पहली एकादशी है।
हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है और हर महीने दो एकादशियां आती है जिन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह भाद्रपद महीने के साथ ही सितंबर माह की भी पहली एकादशी है। अजा एकादशी का व्रत इस बार 3 सितंबर शुक्रवार को रखा जाएगा। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और एकादशी के नियमों का पालन किया जाता है।
हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है और हर महीने दो एकादशियां आती है जिन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह भाद्रपद महीने के साथ ही सितंबर माह की भी पहली एकादशी है। अजा एकादशी का व्रत इस बार 3 सितंबर शुक्रवार को रखा जाएगा।
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है और एकादशी के नियमों का पालन किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ से भी ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है और श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को मृत्यु के बाद उनके श्री चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
अजा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार अजा एकादशी का व्रत बड़ा महत्वपूर्ण है और इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं व्रत करने वाले व्यक्ति को मरणोपरांत वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। साथ ही अजा एकादशी का व्रत और श्री हरि की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। कहते हैं कि एकादशी व्रत रखने वालों के सभी पापों का नाश हो जाता है और सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णु लोक को जाता है।
अजा एकादशी तिथि व मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 02 सितंबर को प्रात: 06 बजकर 21 मिनट से हो रहा है।
यह एकादशी तिथि अगले दिन 03 सितंबर को प्रात: 07 बजकर 44 मिनट तक है।
ऐसे में उदया तिथि 03 सितंबर दिन शुक्रवार को प्राप्त है, इसलिए अजा एकादशी का व्रत 03 सितंबर को ही रखा जाएगा।
व्रत पारण का समय 4 सितंबर, शनिवार को सुबह 5 बजकर 30 मिनट से सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
ऐसे करें अजा एकादशी पर श्री हरि की पूजा
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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