कामिका एकादशी पर यूं विधि-विधान से करेंगे पूजा तो प्रसन्न होंगे श्रीहरि, जानें महत्व व शुभ मुहूर्त
सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है और हर महीने दो एकादशियां आती है जिन्हें भिन्न नामों से जाना जाता है। इसी तरह सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि जो भक्त एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं सताता।
वैसे तो सावन में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं और कामिका एकादशी का व्रत भी उनमें से एक है जो भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है। वहीं कामिका एकादशी का महत्व बताते हुए स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है कि जो भक्त इस दिन भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाता है, उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं। उसे मोक्ष का वरदान मिलता है।
कामिका एकादशी का पूजन मुहूर्त
कामिका एकादशी तिथि का प्रारंभ 03 अगस्त मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से हो रहा है।
वहीं कामिका एकादशी तिथि का समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर होगा। उदया तिथि 4 अगस्त को होने से इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा और पूजन भी होगा।
इस दिन प्रात: काल 05:44 बजे से लेकर अगले दिन 05 अगस्त को प्रात: 04:25 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस योग में कभी भी पूजा की जा सकती है।
कामिका एकादशी का महत्व
माना जाता है कि जो भक्त एकादशी का व्रत रखता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं एकादशी के दिन तीर्थस्थलों में स्नान, दान का भी बड़ा महत्व है। कामिका एकादशी व्रत के फल को अश्वमेध यज्ञ से मिलने वाले फल के बराबर माना गया है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। इस सावन माह की एकादशी के दिन जो लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, माना जाता है कि उनके द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा भी संपन्न हो जाती है।
ऐसे करें कामिका एकादशी पर श्रीहरि की पूजा
-इस दिन सुबह-सवेरे जल्दी जाग जाएं। इसके बाद नित्य कामों से निवृत्त हो जाएं और फिर स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
-इसके बाद भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं।
-अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें।
- पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती करें।
-शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें।
-विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें।
-लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।
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