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सावन में रुद्राक्ष धारण करेंगे तो होगा लाभ, जानें इसका महात्म्य व इससे जुड़ी खास बातें

रुद्राक्ष का अर्थ होता है रुद्र का अक्ष यानी भगवान शिव के अक्षुओं यानी आंसू की बूंदों से बने हैं रुद्राक्ष जो उन्हें अति प्रिय है।

 

रुद्राक्ष का अर्थ होता है रुद्र का अक्ष यानी भगवान शिव के अक्षुओं यानी आंसू की बूंदों से बने हैं रुद्राक्ष जो उन्हें अति प्रिय है। वहीं माना जाता है कि जो भक्त सावन के महीने में विधि-विधान से रुद्राक्ष धारण करे उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे मनोवांछित फल का वरदान मिलता है। शिव की कृपा उस पर बरसने लगती है। 

भगवान शिव को समर्पित है सावन का महीना और इस महीने में उनकी विशेष पूजा की जाती है। भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं साथ ही कुछ खास उपाय भी करते हैं जिससे कि भोलेनाथ प्रसन्न हो उन्हें मनचाहा वरदान दे। शिव भक्त रुद्राक्ष भी धारण करते हैं क्योंकि भोले बाबा को रुद्राक्ष बेहद प्रिय है। 

रुद्राक्ष का अर्थ होता है रुद्र का अक्ष यानी भगवान शिव के अक्षुओं यानी आंसू की बूंदों से बने हैं रुद्राक्ष जो उन्हें अति प्रिय है। वहीं माना जाता है कि जो भक्त सावन के महीने में विधि-विधान से रुद्राक्ष धारण करे उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे मनोवांछित फल का वरदान मिलता है। शिव की कृपा उस पर बरसने लगती है। 

धारण करने से पहले जानें रुद्राक्ष का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष ही एकमात्र ऐसा फल है जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर होता है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है। वैसे देखा जाए तो रुद्राक्ष कोई भी हो लाभकारी होता है पर मुख के अनुसार इसका महत्व अलग-अलग होता है। हर रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं और इन धारियों को ही रुद्राक्ष का मुख कहते हैं। इन धारियों की संख्या 1 से लेकर 21 तक हो सकती है्, इन्हीं धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण 1 से 21 मुखी तक किया जाता है यानी रुद्राक्ष में जितनी धारियां होंगी, वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाएगा।

रुद्राक्ष ऊर्जा और शक्तिदायक होते हैं। रुद्राक्ष को ग्रह शांति के लिए, सुरक्षा के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।

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जानें किस रुद्राक्ष से क्या लाभ होता है 

एक मुखी रुद्राक्ष -ये साक्षात भगवान शिव का रूप होता है। इसे धारण करने से भक्ति और मुक्ति दोनों मिलते हैं। इसे धारण करने से लक्ष्मी और वैभव की प्राप्ति होती है।
दो मुखी रुद्राक्ष- ये रुद्राक्ष अर्धनारिश्वर (शिव और शक्ति) का स्वरुप है। ये घर-गृहस्थी में श्रद्धा विश्वास और पति-पत्नी में एकात्मक भाव उत्त्पन्न करता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष -ये अग्नि स्वरुप रुद्राक्ष है। इसे धारण करने वाला अग्नि समान तेजस्वी हो जाता है। यह ध्यान, ज्ञान और योग में सहायक है।
चार मुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष साक्षात ब्रह्मा जी का स्वरुप होता है। यह धार्मिक, आध्यात्मिक और आत्मविश्वास बढ़ाने में पूरक है।
पांच मुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ तथा पंच ब्रह्म स्वरुप है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारक दीर्घायु और शांतिप्रिय होता है।
छः मुखी रुद्राक्ष- ये रुद्राक्ष शिव पुत्र कार्तिकेय स्वरुप है। यह विद्या, ज्ञान, आत्मविश्वास और बुद्धि प्रदाता है
सात मुखी रुद्राक्ष- यह रुद्राक्ष लक्ष्मी जी का स्वरुप है। यह मानसिक विपत्तियों को दूर करता है। इसे धारण करने से व्यापारिक कार्य में सफलता मिलती है।
आठ मुखी रुद्राक्ष-यह रुद्राक्ष भगवान अष्ट विनायक का रूप है। यह सभी देवों में प्रथम पूज्य है। यह विजयश्री रुद्राक्ष सभी शुभ कार्य में लाभकारी होता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष- यह नवदुर्गा का स्वरुप है। इसे धारण करने से वीरता, साहस, कर्मठता की प्राप्ति होती है। ये धारक को नवरात्र व्रत के समान पुण्य देता है।
दस मुखी रुद्राक्ष- यह भगवान विष्णु का स्वरुप है। इसे धारण करने से विष्णु के दशावतार देवों की दिव्य शक्तियां प्राप्त होती है। यदि बाधा के समय कोई साथ न दे तो इसे जरुर धारण करें।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष- यह भगवान हनुमान जी का स्वरुप है। यह धारक को बलिष्ठ बनाता है। यह हीनभावना, निराशावादी मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह धारक के मन में दया और सेवा भाव को उत्पन्न करता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष- यह भगवान सूर्य का स्वरुप है। धारक सभी दिशाओ में ख्याति प्राप्त करता है। ये शक्ति सामर्थ्य का प्रतीक है। धारक की वाणी में चातुर्यता लाता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष- यह भगवान कामदेव का स्वरुप है। धारक ऐश्वर्य प्राप्ति और संसारिक मनोकामनाओं की इच्छा प्राप्ति करता है। यह मानसिक तथा लैंगिक विकार दूर करता है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष- यह भगवान कुबेर का स्वरुप है। धारक इसे धारण करने से शिवप्रिय हो जाता है। स्वयं भगवान शिव ने चौदहमुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। इस रुद्राक्ष में २ मुखी से लेकर १३ मुखी रुद्राक्ष के सभी गुण विद्ममान होते हैं।
रुद्राक्ष एक कोमल और जैव प्रदार्थ है। अतः इससे किसी प्रकार की एलर्जी आदि की कोई शिकायत नहीं होती है। किसी की त्वचा कितनी भी संवेदनशील क्यों न हो, वह इसे धारण कर सकता है।

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ऐसा रुद्राक्ष धारण करें 

जब भी कोई रुद्राक्ष धारण करना चाहता है तो उसके मन में यही सवाल उठता है कि आखिर कैसा रुद्राक्ष धारण किया जाए। तो जान लें कि रुद्राक्ष का जो बीज आकार में एक समान, चिकना, पक्का ताथा कांटो वाला होता है, उसे शुभ माना गया है। वहीं कीड़े लगे, टूटे–फूटे, बिना कांटों के छिद्रयुक्त तथा बिना जुड़े हुए रुद्राक्ष को अशुभ माना गया है। ऐसे रुद्राक्ष को भूलकर भी नहीं धारण करना चाहिए।

सावन में रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है 

रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उत्तम माह है सावन। सावन के महीने में आप चाहें तो किसी भी दिन या फिर विशेष रूप से सोमवार के दिन इसे विधि–विधान से पूजा करके धारण कर सकते हैं। रुद्राक्ष को हमेशा लाल, पीला या सफेद धागे में ही धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष को भूलकर भी काले धागे में धारण न करें। रुद्राक्ष को धारण करते समय ‘ॐ नम: शिवाय‘ का जप करते रहें। रुद्राक्ष को चाँदी, सोना या तांबे में भी जड़वाकर हाथ, बाजु या फिर गले में धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष की माला चाहे पहनने वाली हो या फिर जप करने वाली, उसे दूसरे व्यक्ति को प्रयोग करने के लिए नहीं देना चाहिए।

कितनी संख्या में रुद्राक्ष धारण करें 

भगवान शिव के रुद्राक्ष को अलग–अलग जगह पर अलग-अलग संख्या में धारण करने का विधान है। जैसे शिखा में एक रुद्राक्ष, सिर पर तीस रुद्राक्ष, गले में छत्तीस, दोनों बाजुओं में 16-16 रुद्राक्ष,कलाई में 12 रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। दो, पांच या फिर सात लड़ी की माला को कंठ में धारण करना चाहिए।

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रुद्राक्ष की होती है नियमित पूजा 

माना जाता है कि जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है। कहते हैं कि रुद्राक्ष को हमेशा धारण करने वाला और इसकी पूजा करने वाला अंत काल में शरीर को त्यागकर शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है। पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है कि सती के देह त्याग पर शिव जी को बहुत दुख हुआ था और उनके आंसू अनेक स्थानों पर गिरे जिससे रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले के सभी कष्ट भगवान हर लेते हैं।

हर हाल में फायदेमंद होता है रुद्राक्ष

ज्योतिष शास्त्र में भी रुद्राक्ष धारण करने के बड़े फायदे बताए गए हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के बीमार होने का बड़ा कारण ग्रहों की प्रतिकूलता होती है। रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की प्रतिकूलता दूर होती है। चाहे व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो या शनि ने चन्द्रमा को पीड़ित करके आपके जीवन में कष्ट भर दिया हो रुद्राक्ष हर हाल में फायदेमंद होता है।

रुद्राक्ष को सिर पर रखकर करें भोलेनाथ का ध्यान 

अगर कालसर्प के कारण जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूल फल की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी शुभ दिन पर गंगा स्नान करने की चाहत रखते हैं और गंगा तट पर नहीं पहुंच पाते हैं तब रुद्राक्ष को सिर पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करने से गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।

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