श्रावण पुत्रदा एकादशी पर यूं करेंगे व्रत-पूजा तो मिलेगा संतान प्राप्ति का वरदान, जानें महत्व, पूजा विधि व मुहूर्त
इस एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से नि: संतान दंपति को जहां संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है
इस एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से नि: संतान दंपति को जहां संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है वहीं अन्य लोगों की संतान संबंधी परेशानियां भी इस व्रत से दूर हो जाती है। वहीं घर में सुख व समृद्धि का आगमन होता है और सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस बार श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 18 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा।
हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है। हर महीने के दोनों पक्ष यानी शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारवीं तिथि यानी ग्यारस को एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन व्रत-पूजा का महत्व है। हर महीने दो के हिसाब से साल में 24 या 25 एकादशी के व्रत पड़ते हैं और हर एकादशी का अपना अलग महत्व होने के साथ ही अलग नाम भी होता है।
देखा जाए तो पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ती है एक पौष के महीने में तो दूसरी श्रावण के महीने में। माना जाता है कि इस एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से नि: संतान दंपति को जहां संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है वहीं अन्य लोगों की संतान संबंधी परेशानियां भी इस व्रत से दूर हो जाती है। वहीं घर में सुख व समृद्धि का आगमन होता है और सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस बार श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 18 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा।
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
पुत्रदा एकादशी व्रत प्रारंभ: 18 अगस्त 2021 दिन बुधवार, रात 03 बजकर 20 मिनट से
पुत्रदा एकादशी व्रत समापन : 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार, रात 01 बजकर 05 मिनट तक
पुत्रदा एकादशी पारण का समय : 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार, सुबह 06 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक
पुत्रदा एकादशी का महत्व
वैसे तो हर माह में दो एकादशी व्रत किया जाते हैं पर श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी का महत्व सबमें अधिक है क्योंकि ये व्रत करने से नि: संतान दंपति को संतान प्राप्ति का वरदान ही नहीं मिलता बल्कि उसे योग्य संतान की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान ज्ञानवान और आज्ञाकारी होती है। यही नहीं अगर संतान को किसी तरह का कष्ट या फिर कोई बीमारी हो तब भी माताएं ये व्रत रखती है और श्री हरि से संतान को ठीक करने के लिए प्रार्थना करती है। कुल मिलाकर यह पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान संबंधी हर बाधा से मुक्ति दिलाता है। जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व और कथा को पढ़ता या श्रवण करता है। उसे कई गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का नाश हो जाता है।
पुत्रदा एकादशी पर ऐसे करें पूजा
- पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प कर लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इसके बाद पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- समीप के किसी मंदिर या घर के मंदिर में भगवान विष्णु को पील फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करना चाहिए। हालांकि अगर पुत्र कामना के लिए व्रत रखना है तो पति-पत्नी दोनों को ही व्रत का संकल्प लेना पड़ेगा।
-उसके बाद भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान कृष्ण को पंचामृत बहुत पसंद है, इसलिए इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है।
-योग्य संतान के इच्छुक दंपत्ति प्रातः स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।
-भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
-भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
-इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
-भगवान की आरती करें।
-द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।
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