सीता नवमी 2024: जानिए सीता नवमी का शुभ मुहूर्त, महिलाएं इस विधि से करें पूजा, सीता नवमी पर करें ये उपाय
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हाल ही में राम नवमी का त्योहार मनाया गया है। देश भर में प्रभु श्री राम को प्रसन्न करने के लिए कई उपाए किए गए। ऐसे में सभी को सीता नवमी का इंतजार है। इस साल सीता नवमी 16 मई 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन माता सीता का आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है।
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हिंदू धर्म में इस तिथि को बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन धरती से प्रकट हुई थीं। इसे जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान माता सीता को प्रसन्न करने के लिए कई चीजें अर्पित की जाती है। साथ ही विधि विधान से पूजा करने पर जातक को लाभ की प्राप्ति होती है। यही नहीं आर्थिक तंगी भी दूर होने लगती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर माता सीता से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। ऐसे में पूजा विधि का खास ख्याल रखना चाहिए। आइए सीता नवमी के दिन किस विधि से पूजा करनी चाहिए, यह जान लेते हैं।
सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
सीता नवमी का मध्याह्न मुहूर्त: प्रातः11.04 से दोपहर 01:43 तक
सीता नवमी का मध्यान क्षण 12: 23 तक है।
सीता नवमी की पूजन विधि
- सीता नवमी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्नान के बाद साफ वस्त्रों को धारण करें।
- फिर भगवान श्री राम और सीता माता की मूर्ति को स्नान कराएं।
- इसके बाद राम जी और सीता माता की विधिपूर्वक पूजा करें।
- पूजा के बाद भोग लगाएं।
- सीता माता के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- बाद में परिवार के साथ मिलकर राम जी और माता सीता की आरती करें।
- इस दौरान रामायण का पाठ बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए इसका पाठ करें।
सीता नवमी पर करें ये उपाय
सीता नवमी के शुभ अवसर पर माता को खीर का भोग लगाएं। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। इस दौरान माता सीता को पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद केसरिया ध्वज लगाएं। इससे आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। सीता नवमी पर सुहागन महिलाओं को माता सीता की विधिनुसार पूजा करनी चाहिए। साथ ही उन्हें सोलह श्रृंगार अर्पित करें। इससे दांपत्य जीवन खुशहाल होगा।
सीता जी की आरती
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी ,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैय्या भक्तन हितकारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
श्री शिरोमणि पति हित कारिणी ,
पति सेवा वित्र वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी ,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
विमल कीर्ति सब लोकन छाई ,
नाम लेत पवन मति आई ,
सुमिरत काटत कष्ट दुःख दाई ,
शरणागत जन भय हरी की ,
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
आरती श्री जनक दुलारी की ,
सीता जी रघुवर प्यारी की ||
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