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आइए जानते हैं कि मां दुर्गा क्यों करती हैं सिंह की सवारी

 

नवरात्रि के दिनों में घर-घर में मां दुर्गा विराजती हैं। भक्त बहुत ही भक्ति भाव से मां दुर्गा के व्रत व पूजन करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से आरंभ हो रही हैं। इन नौ दिनों तक मां के नौ स्वरुपों का पूजन किया जाता है। प्रत्येक स्वरुप की विशिष्ट महिमा है। मां दुर्गा के सभी स्वरुपों के वाहन अलग-अलग हैं परंतु अपने मूल स्वरुप में मां आदिशक्ति दुर्गा हमेशा सिंह की सवारी करती हैं लेकिन क्या आपको पता है कि सिंह कैसे बना मां दुर्गा का वाहन। तो चलिए नवरात्रि के इस पावन अवसर पर जानते हैं कि कैसे सिंह को मां दुर्गा ने बनाया अपना वाहन।

story of Maa Durga riding a lion


मां दुर्गा के वाहन सिंह को लेकर मिलने वाली पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठिन तपस्या की। एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव कैलाश पर हंसी-मजाक कर रहे थे तभी भगवान शिव में माता पार्वती को काली कह दिया जिससे रुष्ट होकर वे कैलाश छोड़कर तपस्या करने चली गई। मां तपस्या में लीन थी तभी वहां एक भूखा शेर देवी को अपना आहार बनाने की इच्छा से आया लेकिन उनको तपस्या में लीन देख कर शेर वहीं इंतजार में बैठ गया।

story of Maa Durga riding a lion


शेर मां पार्वती के आहार बनाने के लिए तपस्या खुलने की प्रतिक्षा करने लगा, इसी तरह से बहुत समय बीत गया और शेर वहीं बैठा रहा। जब भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न  होकर प्रकट हुए और मां पार्वती की तपस्या पूर्ण हुई तो उन्होंने देखा कि शेर भी उनके साथ इतने दिनों से तपस्या में भूखा-प्यासा बैठा रहा।


बहुत दिनों से मां दुर्गा का ध्यान लगाकर भूखे-प्यासे बैठे रहने के कारण मां ने इसे शेर की तपस्या और पूजा माना। शेर की इस कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उसे अपनी सेवा में ले लिया और शेर को अपना वाहन बना लिया। शेर की सवारी करने के कारण वे शेरोवाली कहलाई।

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मां दुर्गा शक्ति, तेज और सामर्थ्य का प्रतीक हैं। उनकी शक्ति के आगे टिकने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं है। शेर में आक्रामकता, शक्ति और शौर्य है। उसकी दहाड़ के समक्ष हर ध्वनि कमजोर प्रतीत होती है। अतः कहा जा सकता है कि मां दुर्गा का वाहन बनने के लिए शेर में पर्याप्त गुण मौजूद हैं।

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