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22 जून तक ज्येष्ठ मास, इस माह में सूर्य उपासना और जल दान का विशेष महत्व

जेठ का महीना गर्मी के हिसाब से सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है। इस महीने में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत रहती है। सूर्य के रौद्र रूप से धरती में मौजूद पानी का वाष्पीकरण सबसे तेज हो जाता है जिसके कारण से नदियां और तालाब सूख जाते हैं।
 

जेठ का महीना गर्मी के हिसाब से सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है। इस महीने में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत रहती है। सूर्य के रौद्र रूप से धरती में मौजूद पानी का वाष्पीकरण सबसे तेज हो जाता है जिसके कारण से नदियां और तालाब सूख जाते हैं। हिन्दू सभ्यता में इस महीने जल के संरक्षण का विशेष जोर दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में सूर्य देव, वरुण देव और हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। ज्येष्ठ माह तप ,व्रत और साधना का प्रतीक है जिस तरह सोना भट्टी में पककर और निखरता है उसी तरह इस मास में सूर्य की तपती हुई गर्मी में साधक लोग कठोर साधना करके अपने तप को और अधिक निखारते हैं और साधना के श्रेष्ठ और उच्च शिखर पर पहुंचते हैं।


मान्यता के अनुसार जितना अधिक ज्येष्ठ मास सूर्य के तप से तपेगा, उतना ही यह विभिन्न कृषि उत्पादों जैसे आम, लीची, जामुन और कटहल जैसे फलों और सब्जियों के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा। इस महीने में जितनी अधिक गर्मी पड़ेगी उतनी ही वह मानसून के लिए लाभकारी होगी और मानसून का चक्र नियमित होगा। 


ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत रखे जाते हैं। ये व्रत प्रकृति में जल को बचाने का संदेश देते हैं। गंगा दशहरा में नदियों की पूजा और निर्जला एकादशी में बिना जल का व्रत रखा जाता है।


जल ही जीवन है। ज्येष्ठ मास में जल दान उपयुक्त माना गया है। पक्षियों के लिए घर की छत या बगीचे में जल का पात्र भर कर रखे। पशु-पक्षी भी प्रकृत्ति की अनमोल देन है और साथ-साथ ये ज्योतिष की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। आपने देखा होगा कि हर देवी-देवता का कोई ना कोई वाहन होता है जो पशु या पक्षी है, मान्यताओं के अनुसार इन वाहनों की पूजा करने से संबंधित देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


कुछ ऐसा ही ज्योतिष के अंतर्गत भी है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल के हर ग्रह का संबंध किसी ना किसी पक्षी या पशु से होता है, अगर ग्रह को शांत या प्रसन्न करना है संबंधित पक्षियों या पशुओं की सेवा करनी चाहिए। 


ज्येष्ठ माह को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है। इस महीने में भारत के उत्तरी भाग में भीषण गर्मी पड़ती है। महीने के शुरुआती दिनों में नौतपा के चलते तेज गर्म हवाएं चलती हैं। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महीने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है।


ज्येष्ठ माह नाम कैसे पड़ा


ज्येष्ठ या जेठ के महीने में गर्मी अपने चरम पर रहती है। इन दिनों सर्वाधिक बड़े दिन होते हैं इस कारण सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है, जेठ के महीने में धर्म का संबंध पानी से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। जेठ के महीने में पानी से जुड़े व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। जिसमें गंगा दशहरा और दूसरा निर्जला एकादशी प्रमुख है।


ज्येष्ठ माह का धार्मिक महत्व


ज्येष्ठ माह का महत्व इसी मास में गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इस कारण इस मास में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी महीने में भगवान राम अपने परम भक्त हनुमानजी से मिले थे। इसके साथ ही ज्येष्ठ महीने में ही भगवान शनिदेव का जन्म भी हुआ था। ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और उनके चरणों से निकलने वाली मां गंगा और पवनपुत्र हनुमान की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है।


ज्येष्ठ मास में जल का दान


1- ज्येष्ठ महीने में सूर्य अपने रौद्र रूप में होता है, जिसके चलते गर्मी बढ़ जाती है, साथ ही बढ़ जाता है पानी का महत्व। शास्त्रों में इस महीने में पानी के संरक्षण पर खास जोर दिया गया है। 

2. ज्येष्ठ मास में जल के दान का बहुत बड़ा महत्व है। भीषण गर्मी में पानी की दिक्कत होने ही लगती है, जिसके चलते कई लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाता, इसलिए इस महीने जल का दान करना अत्यंत लाभकारी बताया गया है।


3. जेठ माह में घर की किसी भी खुली जगह या छत पर चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखना चाहिए। गर्मी के कारण नदी-तालाब सूखने लगते हैं, जिसके चलते पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता, इसलिए घर के बाहर या छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी जरूर रखें। मान्यता है कि पक्षियों को दाना-पानी देना लाभकारी होता है।


4. ज्येष्ठ के महीने में भगवान राम से पवनपुत्र हनुमान की मुलाकात हुई थी, जिसके चलते ये महीना हनुमानजी की पूजा के लिए बहुत खास है। जेठ में श्री राम के साथ हनुमानजी की पूजा करना शुभ फलदायी होता है। इसी महीने बड़े मंगलवार का पर्व मनाया जाता है, जिसमें हनुमानजी की खास पूजा होती है।

ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है, मन के कारक चन्द्रमा को एक जल तत्व गृह के रूप में जाना जाता है । हमारे शरीर में मौजूद रक्त का 72% हिस्सा पानी ही है जिस पर चन्द्रमा का ही अधिकार है । इसलिए चन्द्र को मजबूत करने के लिए जल का संरक्षण करें। जल का दुरुपयोग चंद्रमा को दूषित करेगा। मन मे कुंठाएं, चिंताए व्याप्त होगी, आर्थिक पक्ष डांवाडोल रहेगा। अपने चंद्र को मजबूत करे। जल का दुरुपयोग रोके। पक्षियों व प्राणियों के लिए पीने हेतु जल का दान करें।

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