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भौम प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि, और पूजा सामग्री

भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त - कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि आरंभ- 16 नवंबर 2021 प्रातः 10 : 31 मिनट से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2021 दोपहर 12 : 20 मिनट पर।

 

भौम प्रदोष व्रत आज

जानें शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि

पूजा सामग्री

शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व है।  हर माह में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के व्रतों में सर्वोत्तम माना गया है।


 मान्यता है जो पूरी श्रद्धा से भगवान शिव का यह प्रदोष व्रत रखता है तो उसके जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है। इस बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदिशी तिथि को ये व्रत किया जाएगा। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी इस बार 16 नवंबर  2021, मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार को यह प्रदोष व्रत होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहते हैं। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सम्पूर्ण पूजन सामग्री।  

भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त - कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि आरंभ- 16 नवंबर 2021 प्रातः 10 : 31 मिनट से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2021 दोपहर 12 : 20 मिनट पर।

Today Bhaum Pradosh fasting


पूजन शुभ मुहूर्त - शाम 6 : 55 मिनट से लेकर 8 : 57 मिनट तक । प्रदोष व्रत का पूजन प्रदोष काल मतलब सूर्यास्त के समय किया जाता है।


प्रदोष व्रत की पूजा में करें इस सामग्री का इस्तेमाल - प्रदोष व्रत के पूजन को पूरे नियम से करना चाहिए। यदि आप पहली बार प्रदोष का व्रत कर रहे हैं, तो नीचे दिए गई पूजन सामग्री अवश्य लें। 


पांच फल, पांच मेवा, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुश से बने आसन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, धूप दीप, रोली, मौली, पांच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर,चंदन, शिव व माता पार्वती के श्रृंगार की सामग्री।


प्रदोष व्रत की पूजा विधि - प्रदोष वाले दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। स्नान आदि के उपरांत स्वच और धवल यानि सफेद वस्त्र धारण करें। इसके उपरांत घर के मंदिर में दीप जलाएँ और व्रत लेने का संकल्प लें। संकल्प लेने के उपरांत सायं काल में पुनः मंदिर में दीप जलाएँ। इसके उपरांत सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें,फिर उन्हें पुष्प अर्पित करें। भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी आराधना करें। इसके उपरांत भगवान शिव को पंच फल, पंच मेवा और पंच मिष्ठान का भोग लगाएं। इसके उपरांत भगवान शिव की आरती करें। संभव हो तो पूजन और अभिषेक के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।

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