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आंवला नवमी 12 नवंबर 2021 : जानिए पूजा विधि, सामग्री और कथा

कार्तिक मास में हिन्दू मान्यता के अनुसार बहुत से त्यौहार मनाये जाते है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम।से जाना जाता है।  
 

आंवला नवमी 12 नवंबर 2021

जानिए पूजा विधि, सामग्री और कथा

कार्तिक मास में हिन्दू मान्यता के अनुसार बहुत से त्यौहार मनाये जाते है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम।से जाना जाता है।  मान्यता है कि आंवला या अक्षय नवमी के दिन भगवान कृष्ण वृन्दावन से मथुरा गए थे। इस दिन उन्होंने अपने कर्मक्षेत्र में कदम रखा था। आंवला नवमी की पूजा खास तौर पर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए करती हैं।  इस बार आंवला नवमी 12 नवंबर को मनाई जा रही है। 


आइए जानते हैं आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। साथ ही जानते हैं आंवला नवमी से जुड़ी कथा, पूजा सामग्री और पूजा विधि- 

 Amla Navami
आंवला नवमी शुभ मुहूर्त


कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि आरंभ- 12 नवंबर 2021, शुक्रवार प्रातः 05:51 मिनट से
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि समाप्त- 13 नवंबर 2021,शनिवार प्रातः 05:31 मिनट तक 
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय - प्रातः 06: 41- दोपहर 12: 05 मिनट तक।
कुल अवधि- 05 घंटे 24 मिनट।

 Amla Navami


आंवला नवमी पूजा विधि सामग्री 


आंवले का पौधा पत्ते एवं फल, तुलसी पत्र
कलश एवं जल
कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा
धूप, दीप
श्रृंगार का सामान, 
दान के लिए अनाज

 Amla Navami


आंवला नवमी पूजा विधि 


प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
आंवले के पेड़ की पूजा कर उसकी परिक्रमा करें। 
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की हल्दी, कुमकम, फल-फूल आदि से विधिवत् पूजा करें।
आंवला वृक्ष की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें।
आंवले के पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें।
इसके बाद पूजा करने के बाद कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें।
महिलाएं बिंदी,चूड़ी, मेहंदी, सिंदूर आदि आंवला के पेड़ पर चढ़ाएं। 
इस दिन ब्राह्मण महिला को सुहाग का समान, खाने की चीज और पैसे दान में देना अच्छा मानते है। 

 Amla Navami


आंवला या अक्षय नवमी पूजा कथा 


एक व्यापारी और उसकी पत्नी काशी में रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन व्यापारी की पत्नी को जीवित बच्चे की बलि भैरव बाबा के सामने देने की किसी ने सलाह दी। व्यापारी की पत्नी ने बात मानकर ऐसा ही किया और परिणाम स्वरूप वो रोग ग्रस्त हो गई। अपनी पत्नी की यह हालत देख व्यापारी बहुत दुखी था। उसने अपनी पत्नी से इसका कारण पूछा। 


 उसकी पत्नी ने बताया कि उसने एक बच्चे की बलि दी। व्यापारी ने अपनी पत्नी को अपने कुकर्म के प्रायश्चित करने की सलाह दी। उतनी ने व्यापारी की बात मानकर गंगा स्नान किया और एक दिन प्रसन्न होकर मां गंगा ने प्रसन्न होकर उसको रोगमुक्त कर  दिया। इसके साथ ही उसको कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी का व्रत रहने को कहा। व्यापारी की पत्नी ने बड़े विधि विधान के साथ पूजा की और उसे सुंदर शरीर के साथ ही पुत्र की प्राप्ति भी हुई। तभी से महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना करते हुए आंवला नवमी का व्रत रखती है।

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