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आज नरक चतुर्दशी, जानिए क्यों जलाया जाता है यम के नाम का दिया

धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है।
 

आज कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी, रूप चौदस, काली चौदस

चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा

आज कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी मनाई जा रही है। इसे नरक चतुर्दशी, रूप चौदस, काली चौदस भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती है।  इसके बाद विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप  करते हुए यम का पूजन करती है।  


नरक चतुर्दशी पर तिल के तेल में दीपक जलाया जाता है और घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर इस दिए को रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं। इस दीपक को क्यों जलाया जाता है और इस पंरपरा का यमराज से क्या रिश्ता है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम पर क्यों जलता है दिया?

Narak Chaturdashi 2021


नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा 


पुराणों में नरक चतुर्दशी से संबंधित एक कथा का उल्लेख है। उसके अनुसार एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण हरण करते समय किसी पर दया नहीं आती है। पहले यमदूत संकोच में पड़ गए और कहा कि नहीं महाराज। परंतु दोबारा आग्रह करने पर दूतों ने एक घटना का उल्लेख किया। उन्होंने आगे उस घटना का आगे उल्लेख करते हुए बताया, हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसके जन्म के बाद ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके राजा को बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी।


यह जानने के पश्चात उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर उसका लालन पालन किया। एक दिन उसी यमुना तट के किनारे महाराज हंस की युवा पुत्री घूम रही थी। जब राजकुमार ने उस राजकुमारी को देखा तो वह उस पर मोहित हो गया और उन्होंने गंधर्व विवाह कर लिया। 

Narak Chaturdashi 2021


ज्योतिष गणना के अनुसार जैसे ही विवाह के बाद चौथा दिन पूरा हुआ राजकुमार की मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु देखकर राजकुमारी बिलख-बिलखकर विलाप करने लगी। यमदूतों ने यमराज को कहा कि महाराज उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा।


यमदूतों ने कहा कि उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे भी आंसू नहीं रुक पा रहे थे। तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? इस पर यमराज ने उन्हें एक उपाय के बारे में बताया। नरक चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को पूजन और दीपदान विधि-विधान के साथ करना चाहिए। जिस जगह नरक चतुर्दशी पर दीपदान किया जाता है वहां के लोगों को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है। इस कारण ही नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपदान करने की परंपरा है।

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