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कल लग रहा है साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, इस दौरान गर्भवती महिलाएं भूलकर भी न करें ये गलतियां, हो सकती है परेशानी

इसके अलावा ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। उनकी जरा सी लापरवाही से आने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़  सकता है।
 

इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि यानी 18 सितंबर दिन बुधवार को लग रहा है।  इस बार यह आंशिक ग्रहण होगा। साल का दूसरा चंद्रगहण 18 सितंबर सुबह 6 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है और कहा जाता है कि सूतक काल के दौरान कोई भी काम नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को कुछ कार्य करने से प्रतिबंधित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए।  इसके अलावा ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। उनकी जरा सी लापरवाही से आने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़  सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

गर्भवती महिलाओं को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। उन्हें किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को रसोई का काम नहीं करना चाहिए।
सुई में धागा नहीं पिरोना चाहिए। कुछ भी छीलना या काटना नहीं चाहिए।  
गर्भवती महिला के वातावरण से चंद्र ग्रहण के नकारात्मक तत्वों को दूर करने के लिए कमरे के बाहर गाय के गोबर या गेरू से टूटे हुए क्रॉस का निशान बनाना जरूरी है।
गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही सीधे ग्रहण को देखना चाहिए।
ग्रहण के दिनों में गर्भवती महिलाओं को यथासंभव विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। महिलाओं को पूजा-पाठ पर ध्यान देना चाहिए।

मंत्रों का उच्चारण

चंद्र ग्रहण के दौरान हाथ जोड़कर भगवान या अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का तेज आवाज में उच्चारण करना चाहिए।  चन्द्र ग्रहण के दौरान चन्द्रदेव के मंत्रों का भी उच्चारण करना चाहिए।
चन्द्रदेव के मंत्र इस प्रकार हैं-  ऊँ ऐं ह्रीं सोमाय नमः।
साथ ही विश्वेदेवो का ध्यान भी करना चाहिए। विश्वेदेवो में दस देवता सम्मिलित हैं- इनमें इन्द्र, अग्नि, सोम, त्वष्ट्रा, रुद्र, पूखन्, विष्णु, अश्विनी, मित्रावरूण और अंगीरस शामिल हैं। इन सबका मंत्रों के साथ इस प्रकार ध्यान करना चाहिए-  ऊँ इन्द्राय नमः। ऊँ अग्नये नमः। ऊँ सोमाय नमः। ऊँ त्वष्ट्राय नमः। ऊँ रुद्राय नमः। ऊँ पूखनाय नमः। ऊँ विष्णुवे नमः। ऊँ अश्विनीये नमः। ऊँ मित्रावरूणाय नमः। ऊँ अंगीरसाय नमः

चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद क्या करें

चंद्र ग्रहण समाप्त हो जाने के बाद स्नान जरुर करें। घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। चंद्रग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।

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