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कल लगेगा इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, इन राशियों के लिए कुछ खास चेतावनी और उपाय

'ब्लड मून' की उपाधि इसलिए दी जाती है क्योंकि चंद्रमा उस समय हल्के लाल रंग का दिखाई देता है, जो पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर आने वाले सूर्य के प्रकाश के कारण होता है।
 

इस वर्ष का दूसरा और अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगने जा रहा है। यह खगोलीय घटना तब घटित होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और अपनी छाया चंद्रमा पर डालती है। यह न केवल वैज्ञानिकों के लिए एक रोमांचक अवसर है, बल्कि धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार का चंद्र ग्रहण कई ज्योतिषीय योगों के साथ आ रहा है, जो कुछ राशि के जातकों के लिए विशेष सावधानी बरतने का संकेत दे रहा है।

lunar eclipse

यह खगोलीय नजारा भारतीय समय अनुसार रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में डूब जाएगा, जिसे अक्सर 'ब्लड मून' कहा जाता है। 'ब्लड मून' की उपाधि इसलिए दी जाती है क्योंकि चंद्रमा उस समय हल्के लाल रंग का दिखाई देता है, जो पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर आने वाले सूर्य के प्रकाश के कारण होता है। यह पूरा ग्रहण लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चलेगा और भारत के सभी हिस्सों में आसानी से दिखाई देगा, जिससे खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों और आम जनता दोनों के लिए यह एक दर्शनीय घटना बन जाएगी।

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धार्मिक मान्यताएं और सूतक काल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के समय सूतक काल लगता है, जिसे एक अशुभ या अपवित्र काल माना जाता है। इस बार सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा, जो ग्रहण मोक्ष यानी समाप्ति के समय रात 1:26 बजे तक जारी रहेगा। सूतक काल के दौरान कई प्रकार के प्रतिबंध और सावधानियां बरती जाती हैं। इस अवधि में मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं, और पूजा-पाठ, भोजन बनाना या भोजन करना वर्जित माना जाता है।

गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, जैसे कि किसी भी नुकीली वस्तु का उपयोग न करना, बाहर न निकलना और ग्रहण को सीधे न देखना। माना जाता है कि इस दौरान केवल भगवान का नाम जपना, मंत्र जाप करना और ध्यान लगाना ही शुभ होता है। ऐसा विश्वास है कि ग्रहण के समय किए गए मंत्रों की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है, जिससे आध्यात्मिक लाभ होता है।

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ज्योतिषीय प्रभाव और ग्रहण योग
ज्योतिष के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण और भी खास है क्योंकि यह शनि की राशि कुंभ और गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लग रहा है। इसके साथ ही, राहु चंद्रमा के साथ युति बना रहा है, जिससे 'ग्रहण योग' बनता है। यह योग कुछ राशियों के लिए थोड़ी मुश्किलें लेकर आ सकता है और उन्हें विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता होगी।

वृषभ राशि: इस राशि के जातकों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और व्यापार में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

तुला राशि: तुला राशि के लोगों को मानसिक तनाव और धन के मामलों में नुकसान झेलना पड़ सकता है। उन्हें आर्थिक निर्णयों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

कुंभ राशि: चूंकि ग्रहण कुंभ राशि में ही लग रहा है, इसलिए इस राशि के जातकों के लिए यह समय काफी संवेदनशील माना जा रहा है। उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सतर्क रहना होगा।

समस्याओं के समाधान और उपाय:
ज्योतिषीय प्रभावों को कम करने और शुभता को आकर्षित करने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं:

वृषभ राशि के लिए: सफेद वस्त्र पहनना और दूध का दान करना लाभकारी रहेगा।

तुला राशि के लिए: देवी लक्ष्मी की पूजा करना और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।

कुंभ राशि के लिए: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी होगा, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जाओं को शांत करता है।

ग्रहण समाप्त होने के बाद, हर व्यक्ति को स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान को भोग लगाना चाहिए और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों से मन को शांति मिलती है, जीवन में सकारात्मक और शुभ ऊर्जा का संचार होता है, और ग्रहण के किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह चंद्र ग्रहण एक reminder है कि ब्रह्मांड की घटनाएं हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती हैं, और कैसे आध्यात्मिकता और सावधानी हमें इन प्रभावों से निपटने में मदद कर सकती है।

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