आज है विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानिए महत्व और पूजाविधि
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा बरसती है और साधक को जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। नारदपुराण के अनुसार मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी श्रीगणेश के संयोग के परिणामस्वरूप इस चतुर्थी व्रत को करने से मानसिक शांति,कार्यों में सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख-समृद्धि और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है।
व्रत का महत्व
गणपति की कृपा पाने के लिए वैसे तो इस व्रत को कोई भी कर सकता है, लेकिन अधिकांश सुहागन स्त्रियां ही इस व्रत को परिवार की सुख- समृद्धि के लिए करती हैं। नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गजानन की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर-परिवार पर आ रही विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन करने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो तो उसे गणेशजी की पूजा-उपासना करनी चाहिए,ताकि वह सही निर्णंय लेकर जीवन में सफल हो सके। मन के स्वामी चंद्रदेव हैं, इस दिन गणेशजी की पूजा के साथ रात्रि में चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर मानसिक संतापों को दूर कर शुभ मनोरथ पूर्ण किया जाता है।
पूजाविधि
इस दिन शुभ मुहूर्त में गणेशजी की मूर्ति को पंचामृत से स्न्नान करा कर सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुंगधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, मौसमी फल अर्पित करें। पूजा के समय गणेशजी की मूर्ति न होने पर एक साबुत सुपारी को ही गणेशजी मानकर पूजन किया जा सकता है। फिर दूर्वा अर्पित करके मोदक का प्रसाद लगाएं एवं दीप-धूप से उनकी आरती कर लें।
मंत्र
सुख-समृद्धि के लिए जितना हो सके गणेशजी के मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' या 'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' का जप करें।श्री गणेश के मंत्र जाप से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है और हर कार्य अनुकूल सिद्ध होने लगता है। इस दिन पूर्ण श्रद्धा से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत लाभदायी है।
इन बातों का रखें ध्यान
गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए इनकी पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। पूर्व या उत्तर मुख होकर पूजा करना लाभदायक माना गया है।
चतुर्थी तिथि कब
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और यह तिथि 28 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक मान्य रहेगी। इस व्रत में चतुर्थी तिथि में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य का महत्व होता है।
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