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आज जरूर जलाएं यम के नाम का दीपक, देवताओं को करिए दीपदान

मन्दिरों, गुप्त गृहों, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षों, सभाभवन, नदियों के किनारे, चहारदीवारी, बगीचे, बावली, गली-कूचे, गोशाला आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाना चाहिए। यमराज के उद्देश्य से त्रयोदशी से अमावस्या तक दीप जलानी चाहिए।
 

 आज मनायी जा रही है नरक चतुर्दशी

देवताओं का पूजन कर होगा दीपदान

इसलिए खास है छोटी दीपावली
 


आज शाम शनिवार को यम के नाम दीपक जलाइए, दुख संताप दूर भगाइए और सबके साथ प्रेम से छोटी दिवाली मनाइए। घर के सभी हिस्सों में यम का दीया जलाना आज बेहद आवश्यक होता है। सुबह में पूजा करने के बाद यम को तर्पण किया जाता है  शाम में दीपों की पूजा करने के बाद उसे घर के हर हिस्से में रखे जाते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी आयेंगी और वो आपको धन-धान्य से परिपूर्ण करेंगी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी जो नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी भी कहलाती है।
ज्योतिषियों के अनुसार सनत्कुमार संहिता कहती है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व प्रत्यूषकाल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है। स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिणाभिमुख हो यम-तर्पण करने पर विशेष फल प्राप्त होते हैं।  कहते हैं कि इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं. इस दिन देवताओं का पूजन करके दीपदान करना चाहिए।
कहां-कहां जलाना चाहिए दीया
मन्दिरों, गुप्त गृहों, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षों, सभाभवन, नदियों के किनारे, चहारदीवारी, बगीचे, बावली, गली-कूचे, गोशाला आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाना चाहिए। यमराज के उद्देश्य से त्रयोदशी से अमावस्या तक दीप जलानी चाहिए। नरक दोष से मुक्ति के लिए सायंकाल चौमुखी दीपक जलाकर मुख्य द्वार के सामने रखा जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर को मारकर उसके भयंकर आतंक से समस्त लोकों को निजात दिलवाई थी। इसलिए यह दिन नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है।

Yama deepak
दीप जलाने का मंत्र
ॐ दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां यमस्य प्रीतये मया। चतुवर्तिसमायुक्त: सर्वपापापनुत्तये।।

कई नामों से मनाते हैं ये पर्व
इस दिन को कृष्ण चतुर्दशी, छोटी दिवाली, रुप चतुर्दशी, यमराज निमित्य दीपदीन के रुप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को क्रूर कर्म करने से रोका। उन्होंने 16 हजार कन्याओं को उस दुष्ट की कैद से छुड़ाकर अपनी शरण दी और नरकासुर को यमपुरी पहुंचाया। नरकासुर वासनाओं के समूह और अहंकार का प्रतीक है। इसके बाद छुड़ाई हुई कन्याओं को सामाजिक मान्यता दिलवाने के लिए सभी को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया। इस तरह से नरकासुर से सभी को मुक्ति मिली और इस दिन से इसे नरकाचतुर्दशी के रुप में छोटी दिवाली मनाई जाने लगी। नरक चतुर्दशी दिवाली के पांच दिनों के त्योहार में से दूसरे दिन का त्योहार है। इस दिन के लिए मान्यता है कि इस दिन पूजा करने वाले को नरक से मुक्ति मिलती है।

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