ये है योगिनी एकादशी व्रत का खास लाभ, इन तीन मुहूर्तों में करें पूजा
योगिनी एकादशी व्रत हर साल आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि को रखा जाता है। हरि का अर्थ भगवान विष्णु और हर का अर्थ भगवान शिव से है. दोनों को हरिहर कहा जाता है।
योगिनी एकादशी पर सुबह में पूजा के 3 मुहूर्त हैं. पहला मुहूर्त सुबह 05:23 बजे से सुबह 07:07 बजे तक है। योगिनी एकादशी व्रत हर साल आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी की तिथि सुबह में शुरू होकर अगले दिन सुबह में ही समाप्त हो रही है, इसलिए लोगों में संशय की स्थिति है कि योगिनी एकादशी का व्रत 13 जून को रखना सही है या फिर 14 जून को? इस बार योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा का सुंदर संयोग बना है क्योंकि योगिनी एकादशी पर शिववास भी है।
योगिनी एकादशी व्रत 2023 सही तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि 13 जून को सुबह 09:28 बजे से लेकर अगले दिन 14 जून को सुबह 08:48 बजे तक है। दोनों दिन ही सुबह में योगिनी एकादशी तिथि है, लेकिन उदयातिथि का महत्व होता है।
इस आधार पर देखें तो आषाढ़ कृष्ण एकादशी की उदयातिथि 14 जून बुधवार को प्राप्त हो रही है. उस दिन सुबह 08:48 बजे तक ही एकादशी है, लेकिन योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून को ही रखना उचित रहेगा। 13 जून को योगिनी एकादशी की तिथि सूर्योदय बाद से प्रारंभ होगी।
योगिनी एकादशी पर विष्णु-शिव पूजा का सुंदर संयोग
14 जून को योगिनी एकादशी पर हरिहर की पूजा का सुंदर संयोग बना है। हरि का अर्थ भगवान विष्णु और हर का अर्थ भगवान शिव से है। दोनों को हरिहर कहा जाता है। योगिनी एकादशी को विष्ष्णु पूजा करते हैं और उस दिन शिववास सुबह से लेकर पूरे दिन है. ऐसे में जो लोग योगिनी एकादशी के दिन रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, वे सुबह से करा सकते हैं।
योगिनी एकादशी 2023 पूजा के 3 मुहूर्त
योगिनी एकादशी पर सुबह में पूजा के 3 मुहूर्त हैं. पहला मुहूर्त सुबह 05:23 बजे से सुबह 07:07 बजे तक है. दूसरा मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से लेकर सुबह 08:52 बजे तक है। उसके बाद तीसरा मुहूर्त सुबह 10:37 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक है।
योगिनी एकादशी के बाद पारण
योगिनी एकादशी का पारण 15 जून को सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:10 बजे के मध्य तक किया जा सकता है। उस दिन द्वादशी तिथि सुबह 08:32 बजे तक ही है।
योगिनी एकादशी व्रत के लाभ
1. योगिनी एकादशी व्रत करने से 80 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है।
2. इस व्रत को करने से पाप मिटते हैं।
3. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को सभी सुख प्राप्त होते हैं।
4. मृत्यु बाद विष्णु कृपा से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।
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